रायगढ़ किले में शिवाजी युग का ‘यंत्रराज’ (एस्ट्रोलैब) खोजा गया

रायगढ़ किले में शिवाजी युग का ‘यंत्रराज’ (एस्ट्रोलैब) खोजा गया

रायगढ़ किले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और रायगढ़ विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से किए गए उत्खनन में एक प्राचीन खगोलीय यंत्र ‘यंत्रराज’ (एस्ट्रोलैब) की खोज हुई है। यह खोज छत्रपति शिवाजी महाराज के काल की वैज्ञानिक और प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण है।

खोज का स्थान और विवरण

यह यंत्र कुशावर्त झील के ऊपर स्थित एक ऐतिहासिक हवेली के पास, वर्षा मापक और वाडेश्वर मंदिर के बीच में पाया गया। यह स्थान रायगढ़ किले के उन 10-12 क्षेत्रों में से एक है, जहां पिछले तीन से चार वर्षों से उत्खनन कार्य चल रहा है।

यंत्रराज की विशेषताएं

  • निर्माण वर्ष: शक 1519 (ई.स. 1597)
  • धातु: तांबा-कांस्य मिश्रधातु
  • लिपि और भाषा: देवनागरी लिपि में संस्कृत
  • डिज़ाइन: आयताकार आकृति, जिसमें कछुए और साँप जैसी आकृतियाँ उकेरी गई हैं, जिनके ‘मुख’ और ‘पूंछ’ चिह्नित हैं, जो संभवतः उत्तर-दक्षिण दिशा निर्धारण में सहायक थे।

यह यंत्र खगोलशास्त्रियों और नाविकों द्वारा तारों की स्थिति जानने और दिशा निर्धारण के लिए उपयोग किया जाता था।

ऐतिहासिक महत्व

इस यंत्र की खोज से यह संकेत मिलता है कि रायगढ़ किले का निर्माण खगोलीय विज्ञान के अध्ययन के आधार पर किया गया था। यह यंत्र उस समय का है जब रायगढ़ का पुनर्निर्माण 1656 में हुआ था और छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 1674 में इसी किले में हुआ था।

अन्य प्राप्त कलाकृतियाँ

उत्खनन में शिवराय (शिवाजी महाराज द्वारा जारी सिक्के), कांच और मिट्टी के बर्तन, हथियार और दीपक भी मिले हैं, जिन्हें वर्तमान में ASI मुंबई सर्कल द्वारा संरक्षित किया जा रहा है।

संरक्षण और प्रदर्शन

यह यंत्र रासायनिक उपचार के बाद मुंबई के संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। इस खोज से मराठा साम्राज्य की वैज्ञानिक और प्रशासनिक प्रगति पर और अधिक शोध के द्वार खुलेंगे।

खबर से जुड़े सामान्य ज्ञान तथ्य

  • एस्ट्रोलैब (यंत्रराज): एक प्राचीन खगोलीय यंत्र, जिसका उपयोग तारों की स्थिति जानने, समय मापन और दिशा निर्धारण के लिए किया जाता था।
  • रायगढ़ किला: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित यह किला 1656 में छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था और 1674 में मराठा साम्राज्य की राजधानी बना।
  • शक संवत: भारतीय पंचांग का एक कालगणना प्रणाली, जिसका प्रारंभ 78 ईस्वी से माना जाता है।
  • देवनागरी लिपि: संस्कृत, हिंदी, मराठी सहित कई भारतीय भाषाओं की लेखन प्रणाली।
  • कुशावर्त झील: रायगढ़ किले के परिसर में स्थित एक ऐतिहासिक जलाशय, जिसके पास यह यंत्रराज पाया गया।

रायगढ़ किले में यंत्रराज की खोज मराठा साम्राज्य की वैज्ञानिक और प्रशासनिक दक्षता का प्रतीक है। यह खोज न केवल इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आम जनता को भी हमारे समृद्ध वैज्ञानिक विरासत से परिचित कराती है। इस यंत्र का संरक्षण और प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

Originally written on June 4, 2025 and last modified on June 4, 2025.

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