राजस्थान में महा-परमाणु ऊर्जा परियोजना की आधारशिला: आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा क्रांति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में “अनुषक्ति विद्युत निगम (ASHVINI)” की महि बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना (MBRAPP) की आधारशिला रखी। लगभग ₹42,000 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में से एक होगी और देश को भरोसेमंद बेस-लोड ऊर्जा प्रदान करेगी। इस ऐतिहासिक पहल के साथ भारत ने स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता के नए युग में प्रवेश किया है।

परियोजना की विशेषताएँ और संरचना

महि बांसवाड़ा परियोजना में चार स्वदेशी 700 मेगावाट के “प्रेसराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर” (IPHWR 700) लगाए जाएंगे, जिन्हें न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इन रिएक्टरों को अत्याधुनिक सुरक्षा सुविधाओं से लैस किया गया है, जिससे यह परियोजना न केवल शक्ति उत्पादन में सक्षम होगी, बल्कि सुरक्षा के मामले में भी वैश्विक मानकों पर खरी उतरेगी।

‘फ्लीट मोड’ रणनीति के तहत तेज कार्यान्वयन

यह परियोजना भारत की “फ्लीट मोड” पहल का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत पूरे देश में एक जैसी डिजाइन और आपूर्ति व्यवस्था के तहत दस 700 मेगावाट के रिएक्टरों का निर्माण किया जा रहा है। अब तक तीन ऐसे रिएक्टर चालू हो चुके हैं और महि बांसवाड़ा परियोजना भी इसी श्रृंखला का भाग है। यह रणनीति न केवल समय और लागत में दक्षता लाती है, बल्कि परियोजना प्रबंधन में अनुभव का दोहराव भी सुनिश्चित करती है।

संयुक्त विकास और आर्थिक समृद्धि की राह

MBRAPP का विकास ASHVINI द्वारा NPCIL (51%) और NTPC (49%) की साझेदारी में किया जा रहा है। इस साझेदारी से तकनीकी, वित्तीय और परियोजना प्रबंधन की ताकत को मिलाकर एक अत्यधिक सक्षम ऊर्जा प्रणाली तैयार की जा रही है। परियोजना से राजस्थान समेत अन्य लाभार्थी राज्यों को स्वच्छ, सस्ती और स्थिर बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इसके साथ ही, यह स्थानीय समुदायों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी।

सौर ऊर्जा को भी मिला नया आयाम

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राजस्थान के फलौदी में RSDCL नोक सोलर पार्क (925 मेगावाट) का उद्घाटन भी किया, जिसमें NTPC द्वारा 735 मेगावाट की क्षमता का विकास किया जा रहा है। यह परियोजना भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करेगी और प्रतिवर्ष लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने में सहायक होगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • महि बांसवाड़ा परियोजना में चार 700 मेगावाट के स्वदेशी रिएक्टर (IPHWR-700) होंगे।
  • यह परियोजना “फ्लीट मोड” के तहत विकसित की जा रही है — एक समान डिजाइन व निर्माण प्रक्रिया में दस रिएक्टर शामिल हैं।
  • परियोजना में NPCIL की 51% और NTPC की 49% हिस्सेदारी है।
  • नोक सोलर पार्क (925 MW) राजस्थान के फलौदी में स्थित है और NTPC इसमें 735 MW का विकास कर रही है।

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