राजस्थान के जैसलमेर में “मरु ज्वाला” युद्धाभ्यास: भारत की रेगिस्तानी युद्ध क्षमता का प्रदर्शन
भारतीय सेना और वायुसेना ने राजस्थान के जैसलमेर जिले में पाकिस्तान सीमा के निकट संयुक्त रूप से एक उच्च-तीव्रता वाला युद्धाभ्यास “मरु ज्वाला” आयोजित किया। यह अभ्यास 12 दिनों तक चले “ऑपरेशन त्रिशूल” का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य था भारत की उन्नत युद्धक समन्वय क्षमता, तकनीकी नवाचार और रेगिस्तानी परिस्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का प्रदर्शन करना।
रेगिस्तानी भूभाग में संयुक्त अभियान
“मरु ज्वाला” युद्धाभ्यास में दुश्मन ठिकानों और आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमलों की रूपरेखा तैयार की गई। अभ्यास के आरंभ में मानव रहित हवाई यानों (UAVs) ने लक्ष्यों की पहचान की और आस-पास के नागरिक क्षेत्रों को निकासी अलर्ट भेजे। इसके बाद बख्तरबंद और यंत्रीकृत इकाइयों ने वायुसेना के हमलावर विमानों और हेलिकॉप्टरों के साथ समन्वय करते हुए संयुक्त हमले किए। यह अभ्यास भारतीय सेना की रियल-टाइम डेटा इंटीग्रेशन और समन्वित युद्ध रणनीति में बढ़ती दक्षता का उदाहरण था।
उन्नत तकनीक और एआई प्रणालियों का उपयोग
इस युद्धाभ्यास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित तकनीकों का व्यापक प्रयोग किया गया। निगरानी और रसद आपूर्ति के लिए ड्रोन, और चिकित्सीय सहायता व सामग्री ढुलाई के लिए रोबोटिक म्यूल डॉग्स का उपयोग किया गया। टी-90 टैंक अग्रिम मोर्चे पर प्रमुख भूमिका में थे, जिन्हें अटैक हेलिकॉप्टरों का कवर प्राप्त था। यह प्रदर्शन दर्शाता है कि भारतीय सेना ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी रक्षा तकनीकों और स्वचालन को तेजी से अपना रही है।
नेतृत्व और रणनीतिक पर्यवेक्षण
“मरु ज्वाला” का संचालन दक्षिणी कमान के नेतृत्व में किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ (PVSM, AVSM), जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, ने युद्ध क्षेत्र का निरीक्षण किया और “कोणार्क कोर” तथा “बैटल ऐक्स डिवीजन” के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना की। उन्होंने इस अभ्यास को सेना के “JAI मंत्र” Jointness, Atmanirbharta और Innovation का प्रतीक बताया, जो दर्शाता है कि भारतीय सशस्त्र बल तकनीकी प्रगति और संचालन सुधार के अग्रणी हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- “मरु ज्वाला” भारतीय सेना और वायुसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास है, जो जैसलमेर, राजस्थान में आयोजित हुआ।
- यह अभ्यास 12 दिवसीय “ऑपरेशन त्रिशूल” का हिस्सा था।
- इसका पर्यवेक्षण लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, GOC-in-C, दक्षिणी कमान ने किया।
- इसमें एआई आधारित लॉजिस्टिक्स, ड्रोन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम और टी-90 टैंकों का प्रयोग किया गया।
भविष्य की तैयारी और संचालन क्षमता
रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल निखिल धवन के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने “कोणार्क कोर” के एक्सरसाइज अखंड प्रहार का भी निरीक्षण किया, जो “ऑपरेशन त्रिशूल” का एक अन्य चरण था। इस अभ्यास का उद्देश्य था मल्टी-डोमेन ऑपरेशन की तैयारी को परखना। “मरु ज्वाला” ने यह सिद्ध किया कि भारतीय सेना पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी आकस्मिक परिस्थिति में तीव्र, समन्वित और तकनीक-समृद्ध प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।