यूनेस्को का वर्चुअल म्यूज़ियम: चोरी हुई सांस्कृतिक धरोहरों की वापसी की ओर एक डिजिटल पहल

यूनेस्को का वर्चुअल म्यूज़ियम: चोरी हुई सांस्कृतिक धरोहरों की वापसी की ओर एक डिजिटल पहल

“जब कोई सांस्कृतिक वस्तु चुराई जाती है, तो हम अपनी पहचान का एक हिस्सा खो देते हैं। इन लापता वस्तुओं के बारे में जानना ही उन्हें वापस पाने की दिशा में पहला कदम है।” — यही संदेश है यूनेस्को द्वारा हाल ही में लॉन्च किए गए वर्चुअल म्यूज़ियम ऑफ स्टोलन कल्चरल ऑब्जेक्ट्स का, जो सांस्कृतिक विरासत की रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक डिजिटल पहल है।

सांस्कृतिक चोरी के विरुद्ध एक तकनीकी प्रतिरोध

29 सितंबर को आयोजित MONDIACULT सम्मेलन के दौरान पेश किया गया यह वर्चुअल म्यूज़ियम उन सांस्कृतिक वस्तुओं का संग्रह है जो उपनिवेशवाद, तस्करी और युद्धों के दौरान अपने मूल स्थानों से चुरा ली गई थीं। म्यूज़ियम वर्तमान में 46 देशों से लगभग 240 वस्तुओं को प्रदर्शित करता है और इसका उद्देश्य इन वस्तुओं की पुनः प्राप्ति के साथ खुद को धीरे-धीरे खाली करना है।

डिजिटल तकनीक से पुनर्निर्माण और वैश्विक पहुंच

कई वस्तुओं की वास्तविक छवियाँ उपलब्ध न होने के कारण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से उनकी डिजिटल प्रतिकृतियाँ तैयार की गई हैं, जिन्हें उपयोगकर्ता 360 डिग्री में घुमा सकते हैं। उपयोगकर्ता इन वस्तुओं को उनके नाम, सामग्री, रंग और उपयोग के आधार पर खोज सकते हैं। वेबसाइट की डिज़ाइन अफ्रीकी ‘बाओबाब पेड़’ के प्रतीकात्मक रूप में की गई है, जिसे वास्तुकार फ्रांसिस केरे ने डिज़ाइन किया है।

भारत की प्रतिनिधि मूर्तियाँ

म्यूज़ियम में भारत से दो ऐतिहासिक मूर्तियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जो छत्तीसगढ़ के पाली स्थित महादेव मंदिर से चुराई गई थीं:

  • नटराज की प्रतिमा: शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य को दर्शाती हुई यह प्रतिमा एक हाथ में आशीर्वाद देती मुद्रा और दूसरे में अज्ञानता पर विजय का प्रतीकात्मक दैत्य को रौंदते हुए दिखाती है। नंदी बैल की उपस्थिति शिव के रक्षक और संहारक स्वरूप को दर्शाती है।
  • ब्रह्मा की प्रतिमा: सृजनकर्ता ब्रह्मा को लालितासन में बैठे हुए, तीन मुखों और चार भुजाओं के साथ दिखाया गया है। उनके हाथों में वेद और माला है, और पैरों के पास हंस, जो विवेक का प्रतीक है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यूनेस्को की स्थापना 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शिक्षा, संस्कृति और विरासत के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से हुई थी।
  • भारत में छत्तीसगढ़ के महादेव मंदिर की नटराज और ब्रह्मा की मूर्तियाँ चोरी हुई सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल हैं।
  • म्यूज़ियम का उद्देश्य केवल वस्तुएँ दिखाना नहीं, बल्कि उन्हें लौटाकर न्याय सुनिश्चित करना है।
  • इस परियोजना में INTERPOL की भागीदारी और सऊदी अरब का वित्तीय समर्थन शामिल है।
Originally written on October 14, 2025 and last modified on October 14, 2025.

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