यूनान के चिओस द्वीप पर भीषण जंगल की आग, सैकड़ों दमकलकर्मी राहत कार्य में जुटे

यूनान के पूर्वी एजियन सागर में स्थित चिओस द्वीप पर रविवार, 22 जून 2025 को भीषण जंगल की आग भड़क उठी, जिससे कम से कम दर्जन भर क्षेत्रों को खाली कराने का आदेश दिया गया है। तेज़ हवाओं के चलते तीन अलग-अलग स्थानों पर लगी आग ने एक बड़े अग्निकांड का रूप ले लिया है। इस आपदा से निपटने के लिए ज़मीन और हवा दोनों से बड़े पैमाने पर राहत अभियान चलाया जा रहा है।
दमकलकर्मियों और हवाई समर्थन की तैनाती
इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए 100 से अधिक दमकलकर्मियों को पहले ही तैनात किया जा चुका था। इसके अतिरिक्त, एथेंस और थेसालोनिकी से कई दर्जन अतिरिक्त दमकलकर्मी जहाज के माध्यम से भेजे गए हैं। राहत कार्य में 10 जल फेंकने वाले हेलिकॉप्टर और दो अग्निशमन विमान भी दिन ढलने तक जुटे रहे।
स्थानीय मीडिया में आई तस्वीरों में आग की ऊंची लपटें जंगल और खेतों को निगलती दिखीं। दमकलकर्मी ग्रामीण इलाकों में, विशेष रूप से कारीएस गांव के पास, आग को बुझाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
जलवायु परिवर्तन और आग की बढ़ती तीव्रता
यूनान में गर्म और सूखे ग्रीष्मकाल के दौरान जंगल की आग आम बात रही है, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी तीव्रता और आवृत्ति में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इन भीषण आगों को और भयावह बना रहा है।
वर्ष 2018 में ऐसी ही एक भयावह आग ने एथेंस के पूर्वी तट पर स्थित माटी शहर को तबाह कर दिया था, जहां 100 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। कई लोग आग से बचने के लिए समुद्र में कूद पड़े थे, लेकिन वे डूबकर मारे गए।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- चिओस द्वीप: यूनान का पूर्वी एजियन सागर में स्थित द्वीप, जो गर्मियों में आग की घटनाओं के लिए संवेदनशील है।
- 2018 माटी अग्निकांड: यूनान की सबसे भीषण आग की घटनाओं में से एक, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए थे।
- जलवायु परिवर्तन: यूनान के अधिकारियों ने बार-बार आग की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि के पीछे जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है।
- हवाई अग्निशमन: यूनान में गर्मियों में आग पर काबू पाने के लिए जल फेंकने वाले हेलिकॉप्टर और विमान सामान्य रूप से उपयोग किए जाते हैं।
निष्कर्ष
चिओस द्वीप पर लगी आग यूनान को एक बार फिर पर्यावरणीय आपदाओं की गंभीरता का एहसास करा रही है। तेज़ हवाओं और जलवायु परिवर्तन के बीच, इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर योजना, त्वरित प्रतिक्रिया और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। साथ ही, यह संकट पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस नीतियों को लागू करने की तत्कालिकता को रेखांकित करता है।