युगे-युगेन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय: 2027 तक खुलेगा पहला अनुभाग, बनेगा विश्व का सबसे बड़ा म्यूज़ियम
भारत की पांच हजार वर्षों पुरानी सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को समर्पित “युगे युगेन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय” (Yuge Yugeen Bharat National Museum) का पहला अनुभाग वर्ष 2027 तक जनता के लिए खोल दिया जाएगा। यह संग्रहालय पूरा होने के बाद विश्व का सबसे बड़ा संग्रहालय होगा, जिसका कुल क्षेत्रफल 1.55 लाख वर्ग मीटर होगा। यह परियोजना सेंट्रल विस्टा योजना का हिस्सा है और वर्तमान राष्ट्रीय संग्रहालय की जगह लेगी।
डिज़ाइन और निर्माण प्रक्रिया
इस मेगा प्रोजेक्ट का डिज़ाइन कंसल्टेंसी का कार्य Arcop Associates के नेतृत्व में बने एक अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम को मिला है। इस दल में प्रमुख वास्तुकार कुलापत यंत्रसस्त (Kulapat Yantrasast) भी शामिल हैं, जिन्होंने लॉस एंजेलिस के मोशन पिक्चर संग्रहालय और पेरिस के लौवर म्यूज़ियम के पुनर्विकास में योगदान दिया है।
संग्रहालय में लगभग 30 गैलरी होंगी जो आठ मुख्य अनुभागों में विभाजित होंगी। ये गैलरी भारत की सभ्यता, ऐतिहासिक घटनाओं, विचारों, वैज्ञानिक उपलब्धियों और सांस्कृतिक विकास की झलक प्रस्तुत करेंगी। लगभग 20,000 से अधिक दुर्लभ वस्तुएं देशभर के विभिन्न संग्रहालयों से यहां एकत्र की जाएंगी।
पहली गैलरी: ‘काल और कालातीत’
उत्तर ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर पर बनने वाली पहली गैलरी का नाम अस्थायी रूप से ‘Time and Timelessness’ रखा गया है। इसमें भारत की ‘समय’ की अवधारणा को दर्शाने वाले लगभग 100 प्रमुख ऐतिहासिक अवशेष प्रदर्शित किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:
- 2500–1700 ईसा पूर्व कालिबंगा से प्राप्त सिंधु घाटी सभ्यता का टेराकोटा आवरग्लास
- 5वीं सदी की गुप्तकालीन मूर्तियां
- 10वीं–11वीं सदी की चोल वंश की कांस्य प्रतिमाएं
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- युगे युगेन भारत संग्रहालय का पहला अनुभाग 2027 तक खुलेगा।
- यह संग्रहालय 1.55 लाख वर्ग मीटर में फैला होगा — इसे विश्व का सबसे बड़ा संग्रहालय माना जाएगा।
- Arcop Associates के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को डिज़ाइन कार्य सौंपा गया है।
- संग्रहालय में 30 से अधिक गैलरी होंगी, जिनमें 20,000 से अधिक दुर्लभ कलाकृतियाँ प्रदर्शित होंगी।
- ‘Time and Timelessness’ पहली गैलरी होगी जो समय और भारतीय सभ्यता के संबंध को दर्शाएगी।
सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित एक आधुनिक पहल
इस संग्रहालय का उद्देश्य केवल इतिहास को संरक्षित करना नहीं है, बल्कि इसे आधुनिक डिज़ाइन, डिजिटल तकनीक और अनुभवात्मक प्रदर्शन के माध्यम से नए युग के दर्शकों के लिए सजीव बनाना भी है। यह संग्रहालय उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की औपनिवेशिक इमारतों के पुनरुपयोग का भी उदाहरण होगा, जिन्हें ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस ने 1930 के दशक में निर्मित किया था।
संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा है कि यह संग्रहालय न केवल भारत की गौरवशाली विरासत को प्रदर्शित करेगा, बल्कि देश के नागरिकों और विदेशी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बनेगा। इसकी दैनिक आगंतुक क्षमता 50,000 लोगों तक आंकी गई है।