यमन में बढ़े तनाव: दक्षिणी अलगाववादियों ने सऊदी अरब पर एयरस्ट्राइक का आरोप लगाया
यमन में दक्षिणी अलगाववादी गुटों और सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच तनाव नए स्तर पर पहुंच गया है। दक्षिण संक्रमणकालीन परिषद (STC) ने सऊदी अरब पर हद्रमौत प्रांत में अपने लड़ाकों पर हवाई हमले करने का आरोप लगाया है। यह घटना न केवल ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ चल रही जंग में बढ़ते आंतरिक मतभेदों को उजागर करती है, बल्कि यमन की स्थिरता पर गंभीर प्रश्न भी खड़े करती है।
दक्षिणी गुटों पर सऊदी हमले के आरोप
संयुक्त अरब अमीरात समर्थित STC का दावा है कि सऊदी लड़ाकू विमानों ने उनके बलों पर हमला किया, जिससे दो लड़ाकों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। घटना हद्रमौत में अज्ञात हमलावरों के साथ मुठभेड़ के बाद हुई। हालांकि सऊदी अरब ने इन हमलों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की, परंतु क्षेत्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह कार्रवाई STC की तेजी से बढ़ती सैन्य गतिविधियों को रोकने की चेतावनी के तौर पर की गई।
पूर्वी यमन में प्रभाव क्षेत्र को लेकर विवाद
हाल के सप्ताहों में STC ने हद्रमौत और महरा प्रांतों में अपना प्रभाव बढ़ाया है, जहां उसने सऊदी समर्थित नेशनल शील्ड फोर्सेस से संघर्ष किया। STC का कहना है कि उसकी कार्रवाइयों का उद्देश्य तस्करी नेटवर्क और एक वांछित अपराधी के खिलाफ अभियान चलाना था।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमले में STC से जुड़ी इकाइयों के वाहन नष्ट हो गए। सऊदी से जुड़े सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर STC ने कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे नहीं हटे, तो और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
सऊदी चेतावनियाँ और क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष
हवाई हमले सऊदी चेतावनी के एक दिन बाद हुए, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात समर्थित बलों से पीछे हटने का आह्वान किया गया था। यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अगर वार्ता विफल होती है, तो सैन्य हस्तक्षेप की संभावना मौजूद है।
- वर्तमान में लगभग 15,000 सऊदी समर्थित सैनिक यमन की सीमा के पास तैनात हैं।
- यह प्रकरण सऊदी अरब और यूएई के बीच संबंधों में तनाव का नया संकेत है, जो यमन और रेड सी क्षेत्र में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- दक्षिण संक्रमणकालीन परिषद (STC) दक्षिण यमन को स्वायत्तता देने की मांग करती है।
- सऊदी अरब और यूएई, यमन में हूती विरोधी गुटों के विभिन्न पक्षों का समर्थन करते हैं।
- यमन संकट की शुरुआत 2014 में सना पर हूती कब्जे के बाद हुई।
- यह युद्ध अब तक 1.5 लाख से अधिक मौतों और भीषण मानवीय संकट का कारण बन चुका है।
वैश्विक चिंता और संकट की जटिलता
यमन युद्ध ने 2015 में तब और गंभीर रूप लिया, जब सऊदी अरब ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ गठबंधन बनाया। इस संघर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे वैश्विक शक्तियाँ भी शामिल रही हैं।
अब, जब यमन के दक्षिण में पुनः टकराव बढ़ रहा है, अमेरिकी विदेश विभाग ने संयम बरतने और संवाद को प्राथमिकता देने की अपील की है। उनका मानना है कि यदि इस समय ताज़ा अस्थिरता फैली, तो स्थायी राजनीतिक समाधान की संभावनाएँ कमजोर हो सकती हैं।
यमन में बढ़ते तनाव यह दर्शाते हैं कि आंतरिक विभाजन जितना खतरा बाहरी दुश्मनों से है, उतना ही सहयोगी गुटों के बीच की खाई भी यमन संकट के समाधान को जटिल बना रही है।