मैसेजिंग ऐप्स के लिए अनिवार्य हुआ सिम-बाइंडिंग नियम: साइबर सुरक्षा को मिलेगी मजबूती
दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक नया निर्देश जारी किया है, जिसके तहत अब सभी प्रमुख मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म को सक्रिय सिम कार्ड से निरंतर जुड़े रहना अनिवार्य होगा। यह कदम टेलीकॉम साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और ऐप-आधारित धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
नया अनिवार्य सिम-बाइंडिंग प्रावधान
नए आदेश के अनुसार, जिन मैसेजिंग ऐप्स में उपयोगकर्ता की पहचान या सत्यापन मोबाइल नंबर के माध्यम से होता है, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि जिस डिवाइस पर ऐप चल रहा है, उसमें वही सक्रिय सिम मौजूद हो। इस नियम के लागू होने के बाद व्हाट्सएप, टेलीग्राम और अरट्टई जैसे ऐप बिना जुड़े हुए सक्रिय सिम के मोबाइल या डेस्कटॉप पर काम नहीं कर सकेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य अकाउंट के दुरुपयोग और रिमोट हैकिंग की संभावनाओं को समाप्त करना है।
नीति के पीछे का तर्क
DoT ने बताया कि हाल के समय में कई मामलों में मैसेजिंग सेवाओं का उपयोग ऐसे उपकरणों पर किया गया, जिनमें वास्तविक सिम मौजूद नहीं था। यह कमी विदेशों से संचालित साइबर फ्रॉड नेटवर्क द्वारा बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की जा रही थी, जिससे राष्ट्रीय दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा था। नया नियम इस कमजोर कड़ी को समाप्त करते हुए सुनिश्चित करेगा कि सेवा का उपयोग केवल उस सिम से जुड़ी डिवाइस पर ही संभव हो।
अनुपालन प्रक्रिया और समयसीमा
आदेश के अनुसार, ऐप प्रदाताओं को सिम-लिंकिंग को निरंतर लागू रखना होगा और वेब संस्करणों के लिए समय-समय पर अनिवार्य लॉगआउट की व्यवस्था करनी होगी। डेस्कटॉप इंटरफेस को हर छह घंटे के भीतर क्यूआर-आधारित पुनः सत्यापन (re-linking) की आवश्यकता होगी। सभी कंपनियों को तकनीकी बदलाव लागू करने के लिए 90 दिन का समय और अनुपालन रिपोर्ट जमा करने के लिए 120 दिन की समयसीमा दी गई है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह आदेश दूरसंचार अधिनियम, 2023 और टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी नियम, 2024 के तहत जारी किया गया है।
- वेब संस्करणों को हर छह घंटे में स्वतः लॉगआउट कर पुनः लिंक करना अनिवार्य है।
- सिम-बाइंडिंग का उद्देश्य विदेशी सर्वरों से होने वाले ऐप-आधारित साइबर फ्रॉड को रोकना है।
- अनुपालन 90 दिनों में लागू और 120 दिनों में रिपोर्ट किया जाना आवश्यक है।
व्यापक साइबर सुरक्षा संदर्भ
यह निर्देश टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी संशोधन नियम, 2025 के बाद आया है, जिसमें सभी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर मोबाइल नंबर सत्यापन को और कठोर बनाने की सिफारिश की गई थी। DoT का कहना है कि यह नई व्यवस्था भारत के डिजिटल संचार तंत्र की अखंडता को मजबूत करेगी और ऐप-आधारित सेवाओं पर उपयोगकर्ताओं की पहचान और सुरक्षा को और अधिक विश्वसनीय बनाएगी।