मैथिली शरण गुप्त

मैथिली शरण गुप्त

मैथिली शरण गुप्त सबसे महत्वपूर्ण समकालीन हिंदी कवियों में से थे। उनको खड़ी बोली के अग्रदूतों में से एक माना जाता था, जिसका अर्थ है सरल बोली, और कई खड़ी बोली कविताएँ लिखीं, जब अन्य भारतीय कवि ब्रजभाषा का उपयोग करना पसंद करते थे। वर्ष 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद गुप्ता वो राज्यसभा के मानद सदस्य बने। मैथिली शरण गुप्त अपनी राय व्यक्त करने के लिए अपने काव्य शब्दों का उपयोग करने के लिए प्रसिद्ध थे।

मैथिली शरण गुप्त का प्रारंभिक जीवन
मैथिली शरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त, 1886 को चिरगाँव, झाँसी में माता-पिता सेठ रामचरण गुप्ता और काशीबाई के घर हुआ था। वे एक युवा लड़के के रूप में स्कूल के बहुत शौकीन नहीं थे, इस प्रकार मैथिली शरण गुप्ता को उनके शिक्षक महावीर प्रसाद द्विवेदी ने बचपन में घर पर ही शिक्षा दी थी और बचपन में संस्कृत, अंग्रेजी और बंगाली शिक्षा दी गई थी।

मैथिली शरण गुप्त का करियर
मैथिली शरण गुप्त ने बहुत कम उम्र से हिंदी में कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था। गुप्त ने सरस्वती सहित कई पत्रिकाओं के लिए लिखा, जो उस समय एक लोकप्रिय पत्रिका थी। उनके प्रसिद्ध काम रंग में भंग को 1910 में इंडियन प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी राष्ट्रवादी कविताएँ जैसे, भारत भारती देशभक्त से लोकप्रिय हुईं। उसके बाद गुप्त ने रामायण, महाभारत जैसी पौराणिक कहानियों पर आधारित कविताएँ लिखना शुरू किया। मैथिली शरण गुप्त ने भी धार्मिक नेता के जीवन पर आधारित कविताएँ लिखी हैं।

उनका प्रसिद्ध काम साकेत महाकाव्य रामायण पर आधारित है। उन्होंने लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला को एक नायक के रूप में स्थापित किया, हालांकि वह महाकाव्य के कम ज्ञात चरित्र हैं। साकेत का वास्तविक अर्थ रामचंद्र की राजधानी अयोध्या है। उन्होंने इस कविता में विभिन्न प्रकार की शुद्ध हिंदी भाषा (खड़ी बोली) का इस्तेमाल किया। मैथिली शरण गुप्त के प्रसिद्ध कार्य यशोधरा धार्मिक नेता गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा के इर्द-गिर्द घूमती है।

मैथिली शरण गुप्त की प्रमुख कविताएँ हैं – भारती भारती, जयद्रथ वध, विकट भट, प्लासी का यौद्धा, गुरुकुल, किसान, पंचवटी, सिद्धराज, अर्जन-विसर्जन, काबा-कर्बला, जयभारत, द्वापर, जाहुश, वैतालिक, कुणाल। उन्होंने कुछ प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों का हिंदी में अनुवाद किया। इसमें उमर खय्याम की रुबाइयात और संस्कृत नाटक स्वप्नवासवदत्त शामिल हैं। उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे जैसे, तिलोत्तमा, चंद्रहास। इस विशाल साहित्यिक कृति के लिए मैथिली शरण गुप्त को राष्ट्रकवि कहा गया। आजादी के बाद उन्हें राज्यसभा में मानद कुर्सी दी गई।

मैथिली शरण गुप्त का निधन 12 दिसंबर को वर्ष 1964 में हुआ था।

Originally written on September 28, 2019 and last modified on September 28, 2019.

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