मैत्रक राजवंश

मैत्रक राजवंश

मैत्रक राजवंश
मैत्रक वंश ने पश्चिमी भारत पर शासन किया। मैत्रक वंश का शासनकाल 475 ईसवी से 776 ईसवी के बीच में पश्चिमी भारत (वर्तमान गुजरात) पर शासन किया। मैत्रक शैव धर्म के अनुयायी थे। वे संभवतः चंद्रवंशी क्षत्रिय थे। मैत्रक वंश की स्थापना भट्टारक ने की थी। वह गुप्त शासक के शासनकाल में सौराष्ट्र का गवर्नर था।
भट्टारक और धरासेन इस वंश के पहले दो शासकों ने सेनापति की उपाधि धारण की थी। मैत्रक वंश के तीसरे शासक द्रोणसिम्हा ने महाराजा की उपाध धारण की। इस वंश का सबसे शक्तिशाली शासक ध्रुव सेन द्वितीय था। ध्रुवसेन हर्षवर्द्धन का समकालीन था।
ध्रुवसेन प्रथम के शासनकाल में वल्लभी में जैन परिषद् वल्लभी में आयोजित की गई थी। धरासेन द्वितीय ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी। मैत्रक शासकों ने वल्लभी में विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। तत्पश्चात वल्लभी शिक्षा के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर कर सामने आया।

Originally written on January 23, 2021 and last modified on January 23, 2021.

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