मैक्सिको ने भारत और एशियाई देशों पर लगाए 50% तक आयात शुल्क: वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा गहरा असर
मैक्सिको ने भारत, चीन और कई अन्य एशियाई देशों से आने वाले आयात पर 50% तक के उच्च आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय जनवरी 2026 से प्रभावी होगा और इसे देश की अब तक की सबसे व्यापक व्यापार नीतिगत सुधारों में से एक माना जा रहा है। यह कदम वैश्विक आपूर्ति शृंखला में मैक्सिको की भूमिका को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा।
1,400 से अधिक उत्पाद आए शुल्क के दायरे में
नई शुल्क नीति के तहत 1,400 से अधिक उत्पाद श्रेणियाँ शामिल की गई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स
- कपड़ा और परिधान
- प्लास्टिक और इस्पात
- घरेलू उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स
भारत, जिसकी मैक्सिको के साथ मुक्त व्यापार संधि (FTA) नहीं है, अब औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं की कई श्रेणियों में तत्काल प्रभाव से प्रभावित होगा।
घरेलू विनिर्माण और व्यापार असंतुलन की दलील
मैक्सिको सरकार ने इस नीति का औचित्य यह कहकर बताया है कि यह स्थानीय उद्योगों को समर्थन देने और सस्ते आयात पर निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक है।
अधिकारियों का कहना है कि विशेष रूप से चीन से बढ़ता आयात व्यापार असंतुलन को बढ़ा रहा था और स्थानीय उत्पादकों पर दबाव डाल रहा था।
अमेरिका का प्रभाव और USMCA समझौता
विश्लेषकों का मानना है कि यह सुधार अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकताओं से भी जुड़ा हुआ है।
- वाशिंगटन लंबे समय से मैक्सिको से मांग कर रहा था कि वह एशियाई वस्तुओं के ज़रिए अमेरिकी टैरिफ से बचने के प्रयासों को रोके।
- यह निर्णय US–Mexico–Canada Agreement (USMCA) की आगामी समीक्षा से पहले आया है, जहाँ आपूर्ति शृंखला की पारदर्शिता और टैरिफ से बचाव प्रमुख मुद्दे होंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- मैक्सिको की टैरिफ नीति 1,400+ उत्पाद श्रेणियों को कवर करती है।
- शुल्क दरें 50% तक जा सकती हैं और यह 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी।
- सरकार को इससे $3.76 बिलियन की अतिरिक्त राजस्व की उम्मीद है।
- चीन ने इन टैरिफों की जांच शुरू की है और इन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
क्षेत्रीय प्रतिक्रिया और एशियाई निर्यातकों पर प्रभाव
चीन ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि यह साझेदार देशों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। उसने मैक्सिको से इस नीति को वापस लेने का अनुरोध किया है।
हालांकि, इसके बावजूद चीनी ऑटो निर्माता मैक्सिको में अपने विस्तार को जारी रखे हुए हैं, जिससे अमेरिका की चिंताएँ और गहरी हो गई हैं।
भारत सहित अन्य एशियाई निर्यातकों के लिए यह टैरिफ संरचना एक महत्वपूर्ण झटका है, जिससे उन्हें अब अपनी निर्यात रणनीति में बदलाव करना होगा और नई आपूर्ति शृंखलाओं की खोज करनी पड़ेगी।
यह कदम न केवल मैक्सिको की व्यापार नीति में निर्णायक मोड़ है, बल्कि यह एशिया से अमेरिका और लैटिन अमेरिका के बीच व्यापार मार्गों को पुनर्परिभाषित करने की शुरुआत भी हो सकती है।