मेघालय में खोजा गया नया खाने योग्य मशरूम: “लैक्टिफ्लूस खसियानस”

मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स की वर्षा-सिक्त चीड़ की वादियों ने हाल ही में वैज्ञानिकों को एक नया तोहफ़ा दिया है। यहाँ एक ऐसी मशरूम प्रजाति की खोज हुई है जो वैज्ञानिक दृष्टि से नई है, लेकिन खासी जनजाति के लोग इसे वर्षों से “टिट इयोंगनाह” के नाम से जानते और खाते आ रहे हैं। इस मशरूम का वैज्ञानिक नाम अब लैक्टिफ्लूस खसियानस (Lactifluus khasianus) रखा गया है।

वैज्ञानिक खोज और विशेषताएँ

इस अध्ययन को भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (शिलांग), सेंट जेवियर्स कॉलेज (दमका), और थाईलैंड की महिडोल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर अंजाम दिया। डी. चक्रवर्ती, देबाला टुडु, अनिकेत घोष और कोमसित विसित्रासमेवोंग के नेतृत्व में टीम ने फील्ड सर्वेक्षण, सूक्ष्मदर्शी विश्लेषण और डीएनए अनुक्रमण की मदद से इसे एक नई प्रजाति के रूप में प्रमाणित किया।
लैक्टिफ्लूस खसियानस की कुछ खास विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • इसका कैप चॉकलेट-भूरा होता है।
  • यह लगभग 1600 मीटर की ऊँचाई पर खासी पाइन (Pinus kesiya) के साथ सहजीवी रूप से उगता है।
  • इसकी कोशिकीय संरचना (सिस्टिडिया) और डीएनए मार्कर इसे अन्य प्रजातियों से अलग करते हैं।
  • यह भारत में लैक्टिफ्लूस वंश की पांचवीं और पहली बार वैज्ञानिक रूप से दर्ज की गई खाने योग्य प्रजाति है।

आदिवासी ज्ञान और खाद्य परंपरा

खासी जनजातियाँ इस मशरूम को लंबे समय से अपने भोजन का हिस्सा बनाती रही हैं। बरसात के मौसम में गाँववासी जंगल से “टिट इयोंगनाह” चुनकर स्थानीय बाजारों में बेचते हैं और इसे मौसमी व्यंजन के रूप में बड़े चाव से खाते हैं। यह दर्शाता है कि आदिवासी ज्ञान अक्सर वैज्ञानिक नामकरण और वर्गीकरण से कहीं पहले उपयोग और महत्व को पहचान लेता है।
मेघालय में पाए जाने वाले जंगली मशरूम प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और बरसात के दिनों में इनका सेवन आदिवासी आहार का अहम हिस्सा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • लैक्टिफ्लूस खसियानस भारत में लैक्टिफ्लूस वंश की पाँचवीं प्रजाति है।
  • “टिट इयोंगनाह” नाम से यह मशरूम स्थानीय खासी जनजाति में लंबे समय से प्रचलित है।
  • मेघालय इंडो-बर्मा जैवविविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है।
  • भारत में अब तक 34 से अधिक लैक्टिफ्लूस प्रजातियाँ दर्ज की जा चुकी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *