मेघालय के विलियमनगर में सॉयल लेक का उद्घाटन, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम पहल
मेघालय ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पूर्वी गारो हिल्स जिले के विलियमनगर में सॉयल लेक का उद्घाटन किया है। नेन्गसांग रिवर वैली प्रोजेक्ट के तहत विकसित यह पहल एक महत्वपूर्ण जलस्रोत के पुनर्जीवन के साथ-साथ इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच क्षेत्र की पारिस्थितिक मजबूती को सुदृढ़ करने का प्रयास है।
नेन्गसांग रिवर वैली प्रोजेक्ट के तहत पहल
सॉयल लेक का उद्घाटन मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने किया। यह परियोजना राज्य में मिट्टी और जल संरक्षण को प्राथमिकता देने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। इसका उद्देश्य उन प्राकृतिक जल प्रणालियों को पुनर्जीवित करना है, जो मानव आजीविका और जैव विविधता दोनों के लिए आवश्यक हैं। विलियमनगर शहर में स्थित यह झील न केवल एक संरक्षण संपत्ति के रूप में कार्य करेगी, बल्कि शहर की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन क्षमता को भी बढ़ाएगी।
मेघालय में जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चिंता
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने मेघालय की नदियों, नालों और झरनों पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों को रेखांकित किया। उन्होंने चेतावनी दी कि राज्य संभवतः एक गंभीर टर्निंग पॉइंट को पार कर चुका है, जिसके प्रभाव जल स्रोतों, कृषि, वन क्षेत्र और समग्र पर्यावरण पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं। हालांकि कुछ प्रभाव धीरे-धीरे सामने आते हैं, लेकिन आने वाले दशकों में जल सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
घटते झरने और जल उपलब्धता की समस्या
मिट्टी और जल संरक्षण मंत्री मार्क्विस एन मराक ने अनियमित वर्षा, बढ़ते मृदा क्षरण और बीते एक दशक में झरनों के जल प्रवाह में आई कमी पर चिंता व्यक्त की। मेघालय में लगभग 70 हजार प्राकृतिक झरने ग्रामीण आबादी की जल आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, लेकिन 40 प्रतिशत से अधिक गांवों ने सूखे मौसम में जल उपलब्धता घटने की सूचना दी है। इन समस्याओं से निपटने के लिए राज्य सरकार ने दीर्घकालिक रणनीति और समन्वित जलवायु कार्रवाई हेतु मेघालय क्लाइमेट चेंज काउंसिल का गठन किया है।
इको-टूरिज्म और संरक्षण के बहुआयामी लाभ
अधिकारियों के अनुसार सॉयल लेक संरक्षण संपत्तियों को आजीविका से जोड़ने का एक आदर्श मॉडल है। यह जलाशय लगभग 0.5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है और करीब 10,000 घन मीटर पानी संग्रहित करने की क्षमता रखता है। इससे भूजल पुनर्भरण, बाढ़ नियंत्रण और जल संतुलन में मदद मिलेगी। चेक डैम, रिचार्ज पिट और सामुदायिक जल संरक्षण प्रणालियों जैसी अन्य पहलों के साथ मिलकर यह परियोजना सिंचाई को सुदृढ़ करेगी, मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाएगी और पूरे वर्ष जल उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। साथ ही, विलियमनगर को एक उभरते इको-टूरिज्म गंतव्य के रूप में स्थापित करने में भी योगदान देगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- मेघालय में लगभग 70,000 प्राकृतिक झरने ग्रामीण जल आवश्यकताओं का आधार हैं।
- नेन्गसांग रिवर वैली प्रोजेक्ट का मुख्य फोकस मिट्टी और जल संरक्षण है।
- पहाड़ी राज्यों में झरनों का पुनर्जीवन एक प्रमुख जलवायु अनुकूलन रणनीति है।
- इको-टूरिज्म संरक्षण को आजीविका सृजन से जोड़ता है।
कुल मिलाकर, विलियमनगर में सॉयल लेक का विकास मेघालय की पर्यावरणीय नीति में एक दूरदर्शी कदम है। यह पहल न केवल जल और मृदा संरक्षण को मजबूती देगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने, स्थानीय आजीविका को समर्थन देने और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।