“मेक इन इंडिया” की दशकगांठ पर IPRS 3.0 की शुरुआत: औद्योगिक विकास को नई दिशा

“मेक इन इंडिया” कार्यक्रम की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में इंडस्ट्रियल पार्क रेटिंग सिस्टम (IPRS) 3.0 का शुभारंभ किया। यह पहल उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा एशियाई विकास बैंक (ADB) के सहयोग से विकसित की गई है और इसका उद्देश्य भारत के औद्योगिक ढांचे को प्रतिस्पर्धी एवं वैश्विक स्तर पर उन्नत बनाना है।
IPRS 3.0: औद्योगिक अधोसंरचना के लिए नई मानक प्रणाली
IPRS 3.0, 2018 में शुरू हुई पायलट परियोजना और 2021 में आए IPRS 2.0 पर आधारित एक उन्नत संस्करण है। इसमें अब अधिक व्यापक मापदंड शामिल किए गए हैं जैसे कि सततता (sustainability), हरित अधोसंरचना (green infrastructure), लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी, डिजिटलीकरण, कौशल-सम्बंधी कड़ियाँ और उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया।
इन मापदंडों के आधार पर देशभर के औद्योगिक पार्कों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा: लीडर्स, चैलेंजर्स और आस्पिरेंट्स। इस प्रणाली से निवेशकों को विश्वसनीय, पारदर्शी और तुलनात्मक जानकारी मिलेगी जिससे बेहतर निवेश निर्णय लिए जा सकेंगे।
स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश का मार्ग
श्री गोयल ने जानकारी दी कि सरकार राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम (NICDC) के अंतर्गत 20 “प्लग-एंड-प्ले” औद्योगिक पार्क और स्मार्ट सिटीज़ का विकास कर रही है, जिनमें से 4 पूर्ण हो चुके हैं, 4 निर्माणाधीन हैं और शेष बोली और टेंडर प्रक्रिया में हैं।
IPRS 3.0 से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपने श्रेष्ठ औद्योगिक पार्कों को प्रदर्शित करने, कमियों की पहचान करने, निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजन के अवसर बढ़ाने का अवसर मिलेगा। यह प्रतिस्पर्धा राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगी और नीति-निर्माताओं को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजनाएं बनाने में सहायता करेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IPRS (Industrial Park Rating System) का पहला पायलट 2018 में और दूसरा संस्करण IPRS 2.0 वर्ष 2021 में शुरू किया गया था।
- IPRS 3.0 का विकास DPIIT और ADB द्वारा किया गया है।
- NICDC (National Industrial Corridor Development Corporation) के तहत देशभर में औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट शहरों का निर्माण किया जा रहा है।
- IPRS का उद्देश्य औद्योगिक पार्कों की प्रतिस्पर्धात्मकता का आकलन कर उन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है।