मुन्‍नार की वादियों में दिखी दुर्लभ ‘स्कार्लेट ड्रैगनफ्लाई’: प्रकृति प्रेमियों के लिए रोमांचक खबर

मुन्‍नार की वादियों में दिखी दुर्लभ ‘स्कार्लेट ड्रैगनफ्लाई’: प्रकृति प्रेमियों के लिए रोमांचक खबर

हाल ही में केरल के वेस्टर्न घाट की मुन्‍नार घाटी में एक बेहद दुर्लभ और चटख लाल रंग की ड्रैगनफ्लाई देखी गई है, जिसे स्कार्लेट ड्रैगनफ्लाई (Crocothemis erythraea) कहा जाता है। यह अनोखा दृश्य वन्यजीव प्रेमियों, प्रकृति शोधकर्ताओं और फोटोग्राफरों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं। ठंडी और ऊंचाई वाली इस घाटी में इस प्रजाति की वापसी ने वैज्ञानिकों को भी हैरानी में डाल दिया है। यह खोज पश्चिमी घाट की जैव विविधता के प्रति उत्सुकता और संरक्षण की नई संभावनाओं को जन्म देती है।

स्कार्लेट ड्रैगनफ्लाई: एक दुर्लभ और रंगीन मेहमान

स्कार्लेट ड्रैगनफ्लाई को ‘स्कार्लेट डार्टर’ या ‘ब्रॉड स्कार्लेट’ के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर यह प्रजाति गर्म और निम्न ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती है, इसलिए मुन्‍नार जैसी ठंडी और ऊँचाई वाली घाटियों में इसकी मौजूदगी शोधकर्ताओं के लिए चौंकाने वाली है। मादा और शिशु ड्रैगनफ्लाई का रंग पीले-भूरे से लेकर हल्के धारियों वाला होता है, जबकि नर का रंग चटख लाल होता है।
यह ड्रैगनफ्लाई सामान्यतः तालाबों, नदियों और खुले जल स्रोतों के पास देखी जाती है, लेकिन मुन्‍नार जैसे उच्च और ठंडे वातावरण में इसका दिखना पारिस्थितिकी में हो रहे संभावित बदलावों का संकेत हो सकता है।

मुन्‍नार में कैसे हुई पहचान

2018 में मुन्‍नार की ऊंची घाटियों में किए गए एक जीव-जंतु सर्वेक्षण के दौरान इस ड्रैगनफ्लाई की तस्वीरें ली गई थीं। उस समय इन तस्वीरों को Crocothemis erythraea प्रजाति से जोड़ा गया था, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों की शंका के कारण इसे 2021 की रिपोर्ट से हटा दिया गया था। हाल ही में, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओडोनैटोलॉजी में प्रकाशित एक शोध में इसकी पुष्टि की गई है।
मुख्य शोधकर्ता केलाश सदासिवन ने बताया कि यह खोज न केवल जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संकेत देती है कि पश्चिमी घाट अभी भी कई अनजाने जीवों को समेटे हुए है।

मुन्‍नार में कहां और कैसे देखें यह दुर्लभ ड्रैगनफ्लाई

जो लोग इस दुर्लभ ड्रैगनफ्लाई की एक झलक पाना चाहते हैं, उनके लिए मुन्‍नार घाटी आदर्श स्थल हो सकता है। इसकी संभावना उन जगहों पर अधिक होती है जहां:

  • सुबह जल्दी या देर दोपहर का समय हो
  • खुली और धूप वाली जगहें हों, जैसे तालाब के किनारे या धीमी गति से बहती नदियों के पास
  • कैमरा और दूरबीन साथ में हो, क्योंकि यह ड्रैगनफ्लाई बहुत फुर्तीली होती है

बिना गहराई वाले वन में जाए बगैर, आप जल स्रोतों के पास ही इसकी झलक पा सकते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्कार्लेट ड्रैगनफ्लाई का वैज्ञानिक नाम Crocothemis erythraea है।
  • यह यूरोप, एशिया और अफ्रीका के गर्म क्षेत्रों में आमतौर पर पाई जाती है।
  • भारत के उच्च हिमालयी और घाटी क्षेत्रों में इसका दिखना अत्यंत दुर्लभ माना जाता है।
  • ड्रैगनफ्लाईज पारिस्थितिकीय स्वास्थ्य के अच्छे संकेतक माने जाते हैं, क्योंकि वे स्वच्छ जल स्रोतों में ही पनपती हैं।
Originally written on September 15, 2025 and last modified on September 15, 2025.

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