मुंबई में पगड़ी सिस्टम खत्म करने की तैयारी: किराएदारों और मकानमालिकों के लिए नया अध्याय

मुंबई में पगड़ी सिस्टम खत्म करने की तैयारी: किराएदारों और मकानमालिकों के लिए नया अध्याय

महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के पुराने पगड़ी सिस्टम को समाप्त करने और उसके लिए एक स्वतंत्र नियामक ढांचा स्थापित करने का ऐलान किया है। यह निर्णय उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा घोषित किया गया और इसे हजारों पुराने भवनों के पुनर्विकास और किराएदार-मकानमालिक विवादों के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

क्या है पगड़ी सिस्टम?

पगड़ी सिस्टम एक पूर्व-स्वतंत्रता कालीन किरायेदारी व्यवस्था है, जो 1940 के दशक से पहले मुंबई में आम थी। इसके अंतर्गत, किराएदार मकान में प्रवेश के समय मकानमालिक को एकमुश्त बड़ी रकम (पगड़ी) देता है। इसके बदले किराएदार को लगभग स्थायी निवास अधिकार मिलते हैं, जबकि मासिक किराया नाममात्र या दशकों तक अपरिवर्तित रहता है।

कुछ मामलों में किराएदारों को आंशिक स्वामित्व जैसे अधिकार भी मिलते हैं, लेकिन कानूनी स्वामित्व आमतौर पर मकानमालिक के पास ही रहता है। पगड़ी व्यवस्था के अंतर्गत किराएदार अपने किरायेदारी अधिकार को फिर बेच सकते हैं, और उस बिक्री की राशि का हिस्सा मकानमालिक को भी मिलता है।

कब और कैसे बनी समस्या?

समय के साथ, पगड़ी सिस्टम में आर्थिक और कानूनी विकृति उत्पन्न हो गई। मकानमालिकों को नाममात्र किराया मिलता रहा, जो संपत्ति कर या रखरखाव के लिए भी अपर्याप्त था। इससे कई इमारतें जर्जर और असुरक्षित हो गईं।

पुनर्विकास भी रुका रहा क्योंकि मकानमालिकों को कोई आर्थिक प्रोत्साहन नहीं था, वहीं किराएदारों को अपने अधिकार छिनने या विस्थापन का डर सताता रहा। साथ ही, कैश लेन-देन और ब्लैक मनी की प्रवृत्ति बढ़ी, जिससे राज्य को भी राजस्व हानि हुई। कानून की अस्पष्टता के कारण किराएदार यह नहीं समझ पाए कि पुनर्विकास की स्थिति में उनके अधिकार क्या होंगे।

नए कानून में क्या प्रस्तावित है?

सरकार द्वारा प्रस्तावित नया ढांचा किराएदारों और मकानमालिकों दोनों के हितों को संतुलित करने का प्रयास है। इसके तहत:

  • किराएदारों को पुनर्विकसित इमारतों में स्पष्ट स्वामित्व अधिकार या हिस्सा दिए जाने की योजना है।
  • मकानमालिकों को उचित मुआवज़ा, संशोधित किराया या पुनर्विकास लाभ दिए जाएंगे, जिससे उन्हें आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा।
  • एक नियोजित नियामक तंत्र स्थापित किया जाएगा, जो विवादों को कम करेगा, प्रक्रियाओं को मानकीकृत करेगा और लेन-देन में पारदर्शिता लाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • पगड़ी सिस्टम भारत की आज़ादी से पहले अस्तित्व में आया था और अभी भी Rent Control Act के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है।
  • इस व्यवस्था में किराया वर्तमान बाज़ार दरों की तुलना में बेहद कम होता है।
  • मुंबई में हज़ारों पुरानी पगड़ी इमारतें हैं जो पुनर्विकास की प्रतीक्षा में हैं।
  • पगड़ी से जुड़े पुनर्विकास विवाद वर्षों तक अदालतों में लंबित रहते हैं।

कौन है असली लाभार्थी?

नया कानून किसी एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के बजाय परस्पर हितों को सुरक्षित रखने का प्रयास करता है। किराएदारों को कानूनी सुरक्षा, स्वामित्व और सुरक्षित आवास का लाभ मिलेगा, वहीं मकानमालिकों को आर्थिक व्यवहार्यता और पुनर्विकास से राहत प्राप्त होगी। यदि यह नीति प्रभावी रूप से लागू होती है, तो सबसे बड़ा लाभार्थी मुंबई शहर होगा, जहां यह परिवर्तन रियल एस्टेट क्षेत्र को पुनर्जीवित करेगा और शहरी सुरक्षा को बेहतर बनाएगा।

Originally written on December 12, 2025 and last modified on December 12, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *