मिशन सुदर्शन चक्र: भारत का सर्वांगीण वायु सुरक्षा कवच

भारत ने अपने राष्ट्रीय रक्षा ढांचे को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की शुरुआत की है। यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य पूरे देश में एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली (Air Defence Shield) स्थापित करना है। इस प्रणाली के तहत हजारों राडार, उपग्रह और लेज़र आधारित हथियारों को जोड़कर एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया जाएगा जो दुश्मन के हवाई खतरों का पता लगाने, पहचानने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगा।
सुदर्शन चक्र का ढांचा और रणनीतिक महत्व
मिशन सुदर्शन चक्र के अंतर्गत लगभग 6,000 से 7,000 राडार, कई उपग्रह, और डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEWs) जैसे लेज़र आधारित हथियार एक नेटवर्क में जोड़े जाएंगे। यह नेटवर्क दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को सीमा पार से ही ट्रैक करने में सक्षम होगा।रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना में सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs), निजी क्षेत्र और विभिन्न अनुसंधान संस्थानों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। देश के सभी रणनीतिक और घनी आबादी वाले क्षेत्रों को इस वायु कवच के अंतर्गत लाया जाएगा।यह बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली न केवल सैन्य ठिकानों बल्कि नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रमुख शहरों की भी रक्षा करेगी।
अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का समन्वय
मिशन सुदर्शन चक्र को अंतरिक्ष-आधारित निगरानी (Space-Based Surveillance – SBS) कार्यक्रम के तीसरे चरण के साथ जोड़ा गया है, जिसके तहत 2030 तक 52 नए उपग्रह प्रक्षेपित किए जाएंगे। ये उपग्रह राडार नेटवर्क से जुड़े रहकर निरंतर निगरानी करेंगे।रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान के अनुसार, इस प्रणाली को “भारत का आयरन डोम” कहा जा सकता है, क्योंकि यह ढाल और तलवार दोनों की भूमिका निभाएगा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम टेक्नोलॉजी और एलएलएम (Large Language Models) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा ताकि रीयल-टाइम में विशाल मात्रा में डेटा का विश्लेषण संभव हो सके।
स्वदेशी हथियार प्रणाली और DRDO की भूमिका
डीआरडीओ (DRDO) मिशन के प्रमुख तकनीकी भागीदार के रूप में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। हाल ही में उसने इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया है, जिसमें क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM), VSHORADS मिसाइल और 5 किलोवाट लेज़र हथियार प्रणाली को जोड़ा गया है। यह प्रणाली भविष्य में सुदर्शन चक्र का एक मुख्य घटक बनेगी।साथ ही, देश में विकसित ओवर-द-होराइजन (OTH) राडार सिस्टम दुश्मन की सीमाओं के भीतर तक नजर रख सकेंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- “सुदर्शन चक्र” का नाम भगवान विष्णु के दिव्य अस्त्र से प्रेरित है, जो रक्षा और आक्रमण दोनों का प्रतीक है।
- इज़राइल की Iron Dome प्रणाली की तरह यह भी एक बहु-स्तरीय वायु सुरक्षा ढांचा होगा।
- DEWs (Directed Energy Weapons) लेज़र या माइक्रोवेव ऊर्जा का उपयोग कर लक्ष्यों को निष्क्रिय करते हैं।
- DRDO का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जिसकी स्थापना 1958 में की गई थी।