मिज़ोरम में रेलवे विस्तार: सैरांग तक नई रेल लाइन से ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को नई गति

भारतीय रेलवे ने हाल ही में मिज़ोरम के सैरांग तक 51.38 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉड गेज रेल लाइन का उद्घाटन किया है, जो राजधानी आइज़ोल से 18 किलोमीटर पहले स्थित है। यह उपलब्धि न केवल मिज़ोरम की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाती है, बल्कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को भी ज़मीन पर साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कब शुरू हुआ मिज़ोरम रेलवे प्रोजेक्ट?
इससे पहले मिज़ोरम में केवल 1.5 किलोमीटर मीटर गेज रेल लाइन थी, जो बैराबी को असम के सिलचर से जोड़ती थी। इस लाइन के ब्रॉड गेज में रूपांतरण की परियोजना 2000 में स्वीकृत हुई थी। 2008-09 में इस परियोजना को सैरांग तक बढ़ाने का कार्य शुरू हुआ, लेकिन कठिन भूभाग, भूस्खलन, खराब मौसम और संसाधनों की कमी के कारण प्रगति धीमी रही।
यह परियोजना भारतीय रेलवे के उस बड़े लक्ष्य का हिस्सा रही है, जिसके तहत सभी पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को रेल नेटवर्क से जोड़ा जाना है। सैरांग रेलवे स्टेशन हालांकि आइज़ोल से 18 किमी दूर है, लेकिन यह अब मिज़ोरम के लिए सबसे निकटवर्ती रेल जंक्शन बन गया है।
इस रेललाइन का महत्व
मिज़ोरम एक लैंडलॉक्ड राज्य है, जहाँ से बाहर जाने का सबसे तेज़ साधन अभी तक हवाई यात्रा था। दूसरी विकल्प सड़कों के माध्यम से सिलचर तक की यात्रा है, जो 5 घंटे से अधिक लेती है। अब सैरांग से प्रस्तावित राजधानी एक्सप्रेस जैसी रेल सेवाओं के माध्यम से यह समय घटकर 1.5 घंटे हो जाएगा।
इसके साथ ही माल ढुलाई, पर्यटन और व्यापार के लिए ट्रकों पर निर्भरता भी काफी कम होगी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह रेल जंक्शन मिज़ोरम को भारत के एक्ट ईस्ट नीति के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने में रणनीतिक भूमिका निभाएगा।
‘एक्ट ईस्ट नीति’ क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में ‘एक्ट ईस्ट नीति’ की घोषणा की थी, जो 1991 की ‘लुक ईस्ट नीति’ का एक उन्नत संस्करण है। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए भारत के द्वार के रूप में विकसित करना है। इस नीति के तहत:
- पूर्वोत्तर क्षेत्र का बजट 2014-15 में ₹36,108 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹1 लाख करोड़ से अधिक हो गया।
- 10,000 किलोमीटर हाईवे, 800 किलोमीटर रेलवे लाइन और आठ नए हवाई अड्डे बनाए गए।
- अनेक अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाएं शुरू की गईं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सैरांग रेलवे लाइन में 48 सुरंग (12.85 किमी) और 142 पुल शामिल हैं।
- निर्माण में ₹5,020 करोड़ से अधिक खर्च हुआ और अगस्त 2023 में एक पुल दुर्घटना में 18 श्रमिकों की जान गई।
- यह लाइन भारत-म्यांमार के सित्तवे पोर्ट से माल ट्रांजिट के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
- एक्ट ईस्ट नीति के तहत डिमापुर-झुब्जा (नागालैंड) और इंफाल-मोरेह (मणिपुर) रेल प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं।
- म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और बांग्लादेश में सरकार परिवर्तन जैसे घटनाक्रमों से इस नीति को सीमापार विस्तार में बाधाएँ आई हैं।
सैरांग तक रेलवे की यह नई लाइन न केवल मिज़ोरम के विकास को गति देगी, बल्कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को रणनीतिक मजबूती भी प्रदान करेगी। यह पूर्वोत्तर भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ जोड़ने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।