मिज़ोरम बना भारत का पहला पूर्ण कार्यात्मक साक्षर राज्य

20 मई 2025 को मिज़ोरम ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब इसे भारत का पहला पूर्ण कार्यात्मक साक्षर राज्य घोषित किया गया। यह घोषणा ‘ULLAS – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ के तहत की गई, जिसमें राज्य ने केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 95 प्रतिशत साक्षरता की सीमा को पार कर लिया।
मिज़ोरम की साक्षरता यात्रा
2011 की जनगणना में मिज़ोरम की साक्षरता दर 91.33 प्रतिशत थी, जो देश के शीर्ष राज्यों में से एक थी। लेकिन 2022 में शुरू हुए NILP (New India Literacy Programme) के तहत, मिज़ोरम ने साक्षरता को नए मापदंडों के अनुसार परिभाषित करते हुए 98.2 प्रतिशत की साक्षरता दर हासिल की। इस अभियान के अंतर्गत 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 3,026 निरक्षर व्यक्तियों की पहचान की गई, जिनमें से 1,692 ने सक्रिय रूप से साक्षरता गतिविधियों में भाग लिया। इस कार्य में 290 से अधिक स्वयंसेवक शिक्षकों ने अहम भूमिका निभाई।
ULLAS कार्यक्रम की विशेषताएं
ULLAS – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का उद्देश्य उन वयस्क नागरिकों को साक्षर बनाना है जो औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर रह गए। इसके पांच प्रमुख घटक हैं:
- मूल साक्षरता और अंकगणितीय कौशल
- जीवन से जुड़े महत्त्वपूर्ण कौशल
- प्रारंभिक शिक्षा
- व्यावसायिक कौशल विकास
- निरंतर शिक्षा और जानकारी
मिज़ोरम ने इन सभी आयामों पर कार्य करते हुए ‘पूर्ण कार्यात्मक साक्षरता’ का दर्जा प्राप्त किया।
केरल और मिज़ोरम: साक्षरता के दो मानक
केरल को 1991 में पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया था, लेकिन वह घोषणा उस समय के राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के मानकों पर आधारित थी, जिसमें 90 प्रतिशत साक्षरता दर को लक्ष्य माना गया था। उस समय साक्षरता को केवल पढ़ने-लिखने और साधारण गणना तक सीमित रखा गया था। वहीं, मिज़ोरम की घोषणा नई परिभाषाओं के अनुसार हुई, जिसमें डिजिटल ज्ञान, जीवन कौशल और निरंतर शिक्षा भी शामिल हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- मिज़ोरम की साक्षरता दर वर्तमान में 98.2 प्रतिशत है, जो भारत में सबसे अधिक है।
- ULLAS कार्यक्रम 2022 से 2027 तक के लिए निर्धारित है, जिसका उद्देश्य वयस्क साक्षरता को बढ़ावा देना है।
- मिज़ोरम में लागू साक्षरता अभियान में युवाओं, शिक्षकों, छात्रों और समुदाय के सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
- राज्य की सांस्कृतिक भावना ‘त्लावम्नगाइहना’ (निःस्वार्थ सेवा) ने इस अभियान को जनांदोलन में बदल दिया।
मिज़ोरम की यह सफलता पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा है कि यदि नीतियों को जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू किया जाए और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, तो शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कारिक बदलाव संभव है। यह उपलब्धि बताती है कि कार्यात्मक साक्षरता केवल पढ़ने-लिखने की क्षमता नहीं, बल्कि एक समग्र विकास प्रक्रिया है जिसमें जीवन के हर पहलू में सहभागिता की समझ विकसित होती है।