मिज़ोरम को पहली रेल सेवा: बैराबी-सैरांग परियोजना से पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी का नया युग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मिज़ोरम की पहली ब्रॉड-गेज रेलवे लाइन — बैराबी-सैरांग रेल परियोजना का उद्घाटन किया। यह ऐतिहासिक क्षण मिज़ोरम की कनेक्टिविटी यात्रा में मील का पत्थर है और देश की “एक्ट ईस्ट नीति” को ज़मीन पर उतारने का एक सशक्त उदाहरण बनकर सामने आया है। ₹8,070 करोड़ की लागत से बनी यह 51.38 किलोमीटर लंबी रेल लाइन तकनीकी और भूगर्भीय दृष्टि से भारतीय रेल के इतिहास की सबसे जटिल परियोजनाओं में मानी जा रही है।
तकनीकी चमत्कार: सुरंगें, पुल और अभूतपूर्व निर्माण
- कुल मार्ग में 45 सुरंगें, 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल और 10 रोड ओवर व अंडर पास बनाए गए हैं।
- परियोजना का लगभग 54% हिस्सा सुरंगों और पुलों से होकर गुजरता है।
- ब्रिज नंबर 144, जो सैरांग के पास स्थित है, 114 मीटर ऊँचा है और भारत का सबसे ऊँचा पियर रेलवे पुल बन गया है — यह कुतुब मीनार से भी ऊँचा है।
नए स्टेशन और बेहतर स्थानीय जुड़ाव
इस परियोजना के तहत चार नए रेलवे स्टेशन बनाए गए हैं — होर्टोकी, कॉवनपुई, मुआलखांग और सैरांग। इससे आसपास के समुदायों को नई आर्थिक और सामाजिक संभावनाओं से जोड़ा गया है।
आइज़ॉल को रेल नेटवर्क से पहली बार सीधा जोड़ा गया
यह लाइन असम-मिज़ोरम सीमा पर स्थित बैराबी से सैरांग तक जाती है, जो राजधानी आइज़ॉल से सिर्फ 20 किमी दूर है। इसके साथ ही आइज़ॉल भारत की चौथी पूर्वोत्तर राजधानी बन गई है, जिसे सीधी रेल सेवा प्राप्त हुई है — इससे पहले यह सुविधा गुवाहाटी, अगरतला और ईटानगर को प्राप्त थी।
नई रेल सेवाएं: देशभर से सीधा जुड़ाव
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर तीन नई लंबी दूरी की रेल सेवाओं को हरी झंडी दिखाई:
- सैरांग–दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस: हर शुक्रवार सैरांग से, हर रविवार दिल्ली से वापसी
- सैरांग–गुवाहाटी एक्सप्रेस: प्रतिदिन सेवा
- सैरांग–कोलकाता एक्सप्रेस: सप्ताह में तीन दिन (शनिवार, मंगलवार, बुधवार) सेवा, वापसी (सोमवार, गुरुवार, शुक्रवार)
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- परियोजना को 2008-09 में स्वीकृति मिली थी, और निर्माण 2015 में शुरू हुआ।
- सैरांग से दिल्ली के लिए राजधानी एक्सप्रेस सेवा शुरू होना मिज़ोरम के लिए पहली बड़ी लंबी दूरी की ट्रेन सुविधा है।
- मिज़ोरम की यह रेल लाइन “अक्ट ईस्ट पॉलिसी” का महत्वपूर्ण हिस्सा है।