माइक्रोफाइनेंस ऋण में डिफॉल्ट दर में भारी वृद्धि: बिहार की स्थिति सबसे चिंताजनक

माइक्रोफाइनेंस ऋण में डिफॉल्ट दर में भारी वृद्धि: बिहार की स्थिति सबसे चिंताजनक

भारत में माइक्रोफाइनेंस उद्योग को लेकर जारी भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट 2025 (Bharat Microfinance Report 2025) ने चिंता बढ़ा दी है। स-धन (Sa-Dhan) नामक स्व-विनियामक संस्था द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर डिफॉल्ट की दर में तेज़ वृद्धि हुई है। रिपोर्ट बताती है कि देशभर में बकाया ऋणों की स्थिति खराब हुई है, विशेष रूप से बिहार में, जो न केवल सबसे अधिक ऋण बकाया रखता है, बल्कि सर्वाधिक डिफॉल्ट दर भी वहीं देखी गई है।

ऋण चूक (डिफॉल्ट) के आंकड़ों में खतरनाक इज़ाफा

  • 30 दिनों से अधिक बकाया ऋण (PAR 30+): 2023-24 में यह दर 2.1% थी, जो 2024-25 में बढ़कर 6.2% हो गई।
  • 90 दिनों से अधिक बकाया ऋण: पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना वृद्धि देखी गई — 1.6% से बढ़कर 4.8%।

इन आँकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट है कि डिफॉल्ट की समस्या प्रणालीगत होती जा रही है।

बिहार: सबसे ज्यादा बकाया और सबसे खराब प्रदर्शन

बिहार में मार्च 2025 के अंत तक कुल ₹57,712 करोड़ का माइक्रोफाइनेंस ऋण बकाया था। इसमें:

  • 7.2% ऋण 30 दिनों से अधिक बकाया थे (राष्ट्रीय औसत 6.2% से अधिक)
  • 4.6% ऋण 90 दिनों से अधिक बकाया थे, जो उन्हें गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) की श्रेणी में लाता है।

इससे पता चलता है कि बिहार न केवल कुल ऋण राशि में शीर्ष पर है, बल्कि चूक के मामले में भी अग्रणी है।

ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति सबसे खराब

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ऋण भुगतान की स्थिति क्षेत्रीय दृष्टि से भी भिन्न है:

  • ग्रामीण उधारकर्ताओं के लिए 30 दिन से अधिक बकाया: 6.4%
  • सेमी-अर्बन क्षेत्रों में: 6.1%
  • शहरी क्षेत्रों में: 6.0%

90 दिन से अधिक के बकाया की स्थिति में:

  • ग्रामीण: 3.7%
  • सेमी-शहरी और शहरी: 3.2% प्रत्येक

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि ग्रामीण भारत में ऋण पुनर्भुगतान की स्थिति सबसे चिंताजनक है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स-धन (Sa-Dhan) भारत में माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं का राष्ट्रीय संघ और स्व-विनियामक निकाय है।
  • PAR 30+ (Portfolio at Risk – 30 Days Past Due) वह मापदंड है जिसमें 30 दिन से अधिक समय से बकाया ऋण को जोखिमपूर्ण माना जाता है।
  • NPA (Non-Performing Asset) के रूप में वही ऋण वर्गीकृत होते हैं जो 90 दिन से अधिक समय तक बकाया रहते हैं।
  • माइक्रोफाइनेंस संस्थाएं विशेष रूप से निम्न आय वर्ग और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को छोटे ऋण प्रदान करती हैं।
Originally written on October 13, 2025 and last modified on October 13, 2025.

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