महिलाओं की सुरक्षा पर NARI 2025 रिपोर्ट: शहरी भारत की सच्चाई उजागर

राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी की गई NARI 2025 रिपोर्ट ने शहरी भारत में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 31 शहरों में किए गए इस सर्वेक्षण में 12,770 महिलाओं की राय शामिल की गई, जिससे एक व्यापक चित्र उभर कर सामने आया है — जिसमें सुरक्षा केवल कानून व्यवस्था का विषय नहीं, बल्कि समग्र विकास का मुद्दा बन जाती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर और महिलाओं की धारणा
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय महिला सुरक्षा स्कोर 65% है। यानी कि प्रत्येक 10 में से 4 महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं, जबकि 60% महिलाओं ने अपने शहर को “सुरक्षित” माना। युवतियों में असुरक्षा की भावना और भी गहरी है। जहां कुल महिलाओं में से 7% ने सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न की शिकायत की, वहीं 24 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में यह आंकड़ा 14% तक पहुंच गया, जो दर्शाता है कि छात्राओं और युवा पेशेवरों को विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है।
उत्पीड़न की घटनाएं और प्रतिक्रियाएं
उत्पीड़न की सबसे अधिक घटनाएं (38%) मोहल्लों में और 29% सार्वजनिक परिवहन में सामने आईं। 58% मामलों में मौखिक उत्पीड़न की शिकायत हुई। प्रतिक्रिया स्वरूप, 28% महिलाओं ने उत्पीड़कों का सामना किया, 25% मौके से हट गईं, 21% ने भीड़ का सहारा लिया और केवल 20% ने अधिकारियों को सूचित किया।
लेकिन चिंता की बात यह है कि केवल एक-तिहाई पीड़िताओं ने औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई। उनमें से भी केवल 22% शिकायतें पंजीकृत हुईं और महज 16% मामलों में कार्रवाई हुई। साथ ही, 75% महिलाओं को भरोसा नहीं है कि प्रशासन उनकी शिकायतों का समाधान करेगा।
कार्यस्थल की सुरक्षा और POSH नीति
91% महिलाओं ने अपने कार्यस्थल को “सुरक्षित” बताया, परंतु लगभग आधी महिलाएं यह नहीं जानती थीं कि उनके संगठन में यौन उत्पीड़न से बचाव की (POSH) नीति लागू है या नहीं। जिन महिलाओं को इसकी जानकारी थी, उन्होंने इसे प्रभावी बताया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सिर्फ कानून बनाना पर्याप्त नहीं, जागरूकता भी उतनी ही जरूरी है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NARI 2025 रिपोर्ट: राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी, जिसमें 31 शहरों की 12,770 महिलाओं की राय शामिल।
- POSH नीति: कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान, जिसे 2013 में लागू किया गया।
- सबसे सुरक्षित शहर: कोहिमा, विशाखापट्टनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर और मुंबई।
- सबसे असुरक्षित शहर: पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर और रांची।
शहरों के बीच असमानता भी सामने आई — कोहिमा और विशाखापट्टनम जैसे शहरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहतर ढांचा, जागरूकता और प्रशासनिक सजगता देखी गई, वहीं दिल्ली, पटना और जयपुर जैसे शहर कमजोर संस्थागत उत्तरदायित्व, पितृसत्तात्मक सोच और अविकसित शहरी अधोसंरचना के कारण पीछे रहे।
इस रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि महिलाओं की सुरक्षा केवल शारीरिक संरक्षण तक सीमित नहीं है। इसमें मानसिक, डिजिटल और आर्थिक सुरक्षा भी शामिल है, जो महिलाओं को आत्मनिर्भरता, अवसर और गरिमा प्राप्त करने की राह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। NARI 2025 हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे शहर वास्तव में महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं — दिन के उजाले से लेकर रात की तन्हाई तक।