महासागर (MAHASAGAR): भारत की रणनीतिक समुद्री दृष्टि का नया अध्याय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस वर्ष मॉरीशस में घोषित की गई MAHASAGAR (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) पहल, भारत की समुद्री रणनीति में एक व्यापक और साहसिक परिवर्तन को दर्शाती है। यह पहल, चीन की विवादास्पद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विकल्प के रूप में सामने आई है, जो समावेशी विकास, पारदर्शिता और सामूहिक सुरक्षा को प्राथमिकता देती है।
SAGAR से MAHASAGAR तक: एक विस्तारशील रणनीतिक दृष्टिकोण
2015 में मोदी द्वारा शुरू की गई SAGAR (Security and Growth for All in the Region) नीति मुख्यतः दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों—जैसे श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और सेशेल्स—पर केंद्रित थी। इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा, आर्थिक संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था। 2025 में MAHASAGAR पहल के साथ यह दृष्टिकोण अब पूरे हिंद महासागर क्षेत्र और अफ्रीका के पूर्वी तटीय देशों तक फैल गया है।
BRI के खिलाफ भारत की वैकल्पिक रणनीति
BRI पर अक्सर “कर्ज के जाल” की कूटनीति का आरोप लगता है, जिसका उदाहरण श्रीलंका का हम्बनटोटा बंदरगाह है। वहीं MAHASAGAR पारस्परिक लाभ, पारदर्शी अवसंरचना विकास, मानवीय सहायता और राष्ट्रीय संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है। यह पहल क्षेत्रीय देशों को एक भरोसेमंद साझेदार की ओर आकर्षित कर रही है।
भारत-अफ्रीका समुद्री सहयोग: MAHASAGAR की व्यावहारिक शुरुआत
भारत ने हाल ही में तंजानिया के साथ संयुक्त रूप से AIKEYME (Africa-India Key Maritime Engagement) नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया, जिसमें 10 अफ्रीकी देशों की भागीदारी रही। साथ ही, IOS SAGAR पोत ने मॉरीशस और सेशेल्स जैसे रणनीतिक बंदरगाहों पर मानवीय सहायता, प्रशिक्षण और EEZ गश्ती अभियानों को अंजाम दिया।
सॉफ्ट पावर और जन-जन संवाद की रणनीति
MAHASAGAR का एक प्रमुख पक्ष भारत की सॉफ्ट पावर है—योग सत्र, खेल प्रतियोगिताएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और प्रवासी समुदाय से जुड़ाव। कोच्ची में अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई नौसैनिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी इस दिशा में सहायक हैं।
शक्ति संतुलन बनाम प्रतिस्पर्धा
MAHASAGAR प्रत्यक्ष सैन्य गठजोड़ से बचते हुए समावेशी और सहयोगी दृष्टिकोण अपनाता है। यह नीति छोटे राष्ट्रों को किसी भी शक्ति के पक्ष में झुकने के लिए विवश किए बिना भारत को एक स्थिरकारी शक्ति के रूप में स्थापित करने का प्रयास है।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालाँकि चीन डीजिबूती, हम्बनटोटा और अन्य बंदरगाहों में अब भी मौजूद है, लेकिन भारत की बढ़ती समुद्री सक्रियता और सहयोगात्मक कूटनीति ने संतुलन बनाना शुरू कर दिया है। प्रभावी प्रशासन, संसाधनों का बेहतर वितरण, और कूटनीतिक संस्थाओं को सुदृढ़ करना भारत के लिए अगला महत्वपूर्ण कदम होगा।
भारत का भू-राजनीतिक क्षण
MAHASAGAR एक ऐसे समय पर आया है जब विश्व व्यवस्था पुनर्गठित हो रही है। पश्चिमी प्रभुत्व कमजोर हो रहा है, चीन की आक्रामकता पर प्रश्न उठ रहे हैं, और भारत जैसे उभरते शक्ति केंद्रों को नेतृत्व की आवश्यकता है। यह पहल भारत को एक स्थिर, भरोसेमंद और समावेशी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित कर रही है।