महाराष्ट्र में कुष्ठ रोग बना “सूचित रोग”: इलाज और रोकथाम की दिशा में निर्णायक कदम
महाराष्ट्र सरकार ने कुष्ठ रोग (हैन्सन डिज़ीज़) को “सूचित रोग” (Notifiable Disease) घोषित कर दिया है, जिससे अब इस रोग के हर पुष्ट मामले की रिपोर्टिंग स्वास्थ्य अधिकारियों को अनिवार्य हो गई है। यह निर्णय रोग की निगरानी, शीघ्र निदान, समय पर उपचार और संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल के रूप में देखा जा रहा है।
अधिसूचना का दायरा और कानूनी आधार
स्वास्थ्य विभाग द्वारा 30 अक्टूबर 2025 से प्रभावी इस अधिसूचना के तहत अब सरकारी, निजी, गैर-सरकारी संगठन (NGO), कॉर्पोरेट और शैक्षणिक स्वास्थ्य केंद्रों को हर कुष्ठ रोगी के मामले की रिपोर्ट करनी होगी। यह कदम महामारी नियंत्रण अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के तहत लागू किया गया है, जिससे कुष्ठ रोग की निगरानी प्रणाली को औपचारिक और संगठित रूप मिलेगा।
रिपोर्टिंग की समयसीमा और प्रक्रिया
प्रत्येक पुष्ट मामले की सूचना निदान की तिथि से 14 दिनों के भीतर जिला स्वास्थ्य कार्यालय, सहायक निदेशक (स्वास्थ्य सेवा – कुष्ठ), और स्थानीय नगर निकाय को देनी अनिवार्य होगी। रिपोर्टिंग प्रणाली का उद्देश्य मामलों का मानकीकरण, समय पर मल्टीड्रग थेरेपी (MDT) का आरंभ और उपचार में गिरावट (drop-out) को रोकना है।
राज्य में रोग का बोझ और लक्ष्य
सितंबर 2025 तक महाराष्ट्र में 7,863 नए कुष्ठ रोगी सामने आए, जबकि 13,010 मरीज सक्रिय उपचार में हैं — जो देश में उच्चतम राज्यों में से एक है। राज्य सरकार ने “2027 तक कुष्ठ-मुक्त महाराष्ट्र” का लक्ष्य रखा है, जिसमें संक्रमण शून्य करना, बच्चों में विकृति की समाप्ति और सामाजिक कलंक को दूर करना शामिल है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- कुष्ठ रोग का कारण Mycobacterium leprae बैक्टीरिया है; इसका इलाज मल्टीड्रग थेरेपी (MDT) से संभव है, जो सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है।
- महाराष्ट्र में अब हर पुष्ट कुष्ठ रोग मामले की रिपोर्ट 14 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है।
- WHO और भारत सरकार, संभावित संपर्कों को एकल खुराक रिफैम्पिसिन (SDR-PEP) देने की सिफारिश करते हैं।
- अधिसूचना का उद्देश्य शीघ्र निदान, समय पर इलाज और विकृति से बचाव है।
संपर्क रोकथाम, जनजागरूकता और आगे की रणनीति
स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक मरीज के नजदीकी संपर्कों की पहचान कर उनकी स्क्रीनिंग करें और पात्र पाए जाने पर SDR-PEP दें। साथ ही, उपचार पूर्ण होने तक फॉलो-अप सुनिश्चित करने को कहा गया है। अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और सुन्न त्वचा के धब्बों या कमजोरी जैसे लक्षणों के प्रति सतर्क रहें। प्रारंभिक अवस्था में उपचार न केवल रोग को ठीक करता है, बल्कि विकृति और आगे संक्रमण को भी रोकता है।