महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना

महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना

भारत सरकार ने देश में महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। यह योजना राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका उद्देश्य देश को खनिजों के लिए बाहरी निर्भरता से मुक्त करना है। योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन प्रक्रिया 2 अक्टूबर 2025 से शुरू हो चुकी है और 1 अप्रैल 2026 तक जारी रहेगी।

योजना की प्रमुख विशेषताएँ

इस योजना के अंतर्गत सरकार ने पुनर्चक्रण प्रणाली के लिए संकेतात्मक वित्तीय प्रावधान, प्रोत्साहन आवंटन की पद्धति, आवेदन और मूल्यांकन प्रक्रिया, संस्थागत व्यवस्था और प्रदर्शन मूल्यांकन जैसे विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट किया है।
यह योजना नए इकाइयों में निवेश के साथ-साथ मौजूदा इकाइयों के विस्तार, आधुनिकीकरण और विविधीकरण पर भी लागू होगी। पुनर्चक्रण मूल्य श्रृंखला में वही इकाइयाँ पात्र होंगी जो वास्तव में महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण में संलग्न हों, न कि केवल ब्लैक मास उत्पादन में।

पात्र इकाइयाँ और निवेश सीमा

योजना का लाभ बड़ी और स्थापित पुनर्चक्रण इकाइयों के साथ-साथ छोटे और नव आरंभिक उपक्रमों, स्टार्टअप्स को भी मिलेगा। लाभार्थियों की संख्या अधिक हो सके, इसके लिए प्रति इकाई कुल प्रोत्साहन राशि की सीमा निर्धारित की गई है:

  • बड़ी इकाइयों के लिए: अधिकतम ₹50 करोड़ (जिसमें से ₹10 करोड़ ओपेक्स सब्सिडी)
  • छोटी इकाइयों के लिए: अधिकतम ₹25 करोड़ (जिसमें से ₹5 करोड़ ओपेक्स सब्सिडी)

पुनर्चक्रण के स्रोत

पात्र कच्चे माल में ई-कचरा, प्रयुक्त लिथियम-आयन बैटरियाँ (LiB), और अन्य स्क्रैप सामग्री शामिल हैं। यह कदम महत्वपूर्ण खनिजों को द्वितीयक स्रोतों से प्राप्त करने की दिशा में एक सशक्त पहल है।

योजना से अपेक्षित लाभ

सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से सालाना 270 किलो टन की पुनर्चक्रण क्षमता विकसित होगी, जिससे लगभग 40 किलो टन महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन संभव होगा। इसके अतिरिक्त यह योजना लगभग ₹8,000 करोड़ का निवेश आकर्षित करेगी और करीब 70,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित करेगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (National Critical Mineral Mission) की स्थापना 2023 में की थी।
  • लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे खनिजों को महत्वपूर्ण खनिज (Critical Minerals) की श्रेणी में रखा जाता है।
  • लिथियम-आयन बैटरियाँ मुख्यतः इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज में उपयोग की जाती हैं।
  • भारत में प्रति वर्ष लगभग 50 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न होता है, जिसका एक बड़ा हिस्सा पुनर्चक्रण में नहीं जाता।
Originally written on October 7, 2025 and last modified on October 7, 2025.

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