मरिंग जनजाति

मरिंग जनजाति

मरिंग जनजातिम मुख्य रूप से मणिपुर में चंदेल जिले में टेंग्नौपाल उपखंड के पहाड़ी गाँवों में रहती है। इसके अलावा ये मारिंग समुदाय अलग-अलग गांवों जैसे नारुम, माची, खुदेई, खोइबु आदि में केंद्रित हैं।

प्रख्यात मानवविज्ञानी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस आदिवासी समुदाय को मिती राजाओं के साथ घनिष्ठ सहयोग मिला है।

ये मारिंग जनजाति मणिपुर के इस खूबसूरत राज्य की किसी भी जनजाति के समान भाषा बोलते हैं। कुछ नृविज्ञानियों ने दावा किया कि ये मरिंग जनजाति मूल रूप से गांव माची के हैं।

मारिंग जनजातियों का मुख्य व्यवसाय कृषि कृषि है।परिदृश्य में उनकी स्थिति और प्रतिष्ठा में सुधार के साथ बदलाव आया है। इनके अलावा मारिंग जनजाति बांस के साथ अलग-अलग उपकरण बनाती है। कुछ वस्तुएं घरेलू प्रयोजन के लिए होती हैं।

राज्य की राजनीति में कई मरिंग जनजाति भी प्रवेश कर चुकी हैं। संस्कृति और परंपरा को इस जनजाति द्वारा अपने मूल रूप में संरक्षित किया जा रहा है।

Originally written on July 30, 2019 and last modified on July 30, 2019.

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