मराठी सिनेमा का इतिहास

मराठी सिनेमा का इतिहास कई जानी-मानी फिल्मी हस्तियों का इतिहास है। इसका इतिहास भारतीय सिनेमा के इतिहास समान ही पुराना है। पहली भारतीय फिल्म, राजा हरिश्चंद्र, एक मराठी व्यक्ति दादा साहब फाल्के द्वारा बनाई गई थी। तब से मराठी फिल्म उद्योग ने मुख्यधारा की सिनेमा में लगातार योगदान दिया है और साथ ही साथ मराठी फिल्मों को भी समृद्ध किया है। प्रारंभिक वर्षों में वी शांताराम, मास्टर विनायक, भालजी पेंढारकर, आचार्य आत्रे, राजा परांजपे, जी डी मडगुलकर और सुधीर फड़के ने मराठी सिनेमा का एक समृद्ध इतिहास बनाने में योगदान दिया। बाद के वर्षों में अनंत माने, दत्त धर्माधिकारी, राज दत्त, दादा कोंडके और कई अन्य लोगों द्वारा भी इस क्षेत्र में कार्य किया गया। जबकि इन निर्देशकों में से कुछ ने अपनी फिल्मों के माध्यम से मराठी रंगमंच शैली को पुनर्जीवित किया। इस प्रकार महाराष्ट्र की मूल संस्कृति को दुनिया के सामने लाया, दूसरों ने हास्य शैली और पारिवारिक नाटकों में मराठी फिल्मों के साथ दर्शकों का मनोरंजन किया। 1980 के दशक में अशोक सराफ और लक्ष्मीकांत बेर्डे जैसी हस्तियों का उदय हुआ। इन दोनों अभिनेताओं ने भी हिंदी फिल्म उद्योग में योगदान दिया। अशोक सराफ ने खुद को टेलीविजन से भी जोड़ा और आज वह फिल्म निर्माण में हैं। महेश कोठारे और सचिन पिलगाँवकर जैसे युवा मराठी निर्देशकों ने बॉक्स ऑफिस पर धूमधड़ाका किया। महेश कोठारे ने कई हिट कॉमिक फिल्में बनाईं और कई तकनीकी बदलाव किए। वह मराठी सिनेमा के इतिहास में डॉल्बी डिजिटल साउंड की शुरुआत करने वाले पहले व्यक्ति थे। उनकी फिल्म, पचदलेला (2004) पहली बार डिजिटल प्रभावों के साथ बनाई गई थी।
समकालीन मराठी सिनेमा मराठी सिनेमा के गौरवशाली इतिहास का एक समान मेल है। 2004 में शवाओं को गोल्डन लोटस नेशनल अवार्ड मिला, जिसमें नाना पाटेकर, अतुल कुलकर्णी, सोनाली कुलकरी, अश्विनी भावे, श्रेयस तलपड़े, सुनील बर्वे, अमृता सुभाष, सचिन खेडेकर, भरत जाधव, संजय नरवेकर और अन्य प्रतिभाशाली कलाकार उभर कर आए।

Originally written on February 10, 2021 and last modified on February 10, 2021.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *