मध्य प्रदेश में किंग कोबरा की वापसी की योजना पर सवाल: क्या यह वैज्ञानिक रूप से उचित है?

हाल ही में मध्य प्रदेश के वन विहार, भोपाल में कर्नाटक के मंगलूरु चिड़ियाघर से लाए गए एक किंग कोबरा की मृत्यु हो गई। यह साँप बाघ के बदले लाया गया था। मुख्यमंत्री मोहन यादव इस घटना के बावजूद राज्य में किंग कोबरा को पुनः स्थापित करने की योजना पर अडिग हैं। उनका मानना है कि यह कदम राज्य में साँप काटने से होने वाली मौतों को कम करने में सहायक होगा। लेकिन विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के अनुसार, यह योजना न केवल व्यवहारिक रूप से बल्कि पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से भी खतरनाक है।

किंग कोबरा की पारिस्थितिकी और सीमाएँ

किंग कोबरा (Ophiophagus hannah) दुनिया का सबसे लंबा विषैला साँप है, जिसकी लंबाई 15 फीट तक हो सकती है। यह साँप सामान्यतः ठंडी, नम और घनी वनस्पति वाली जगहों में पाया जाता है — जैसे वेस्टर्न घाट, उत्तर भारतीय टेराई क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत और ओडिशा व बंगाल की मैंग्रोव तटीय पट्टी।
मध्य प्रदेश की शुष्क पर्णपाती वनों में पानी और ठंडक की कमी के कारण यहां का वातावरण किंग कोबरा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। अब तक राज्य में इस साँप की कोई पुष्टि की गई ऐतिहासिक उपस्थिति नहीं मिली है।

आनुवंशिक शोध: अब किंग कोबरा एक नहीं, चार हैं

2021 में गोरी शंकर के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन ने यह स्पष्ट किया कि किंग कोबरा वास्तव में चार अलग-अलग वंशों में विभाजित हैं। इनमें वेस्टर्न घाट में पाया जाने वाला “Ophiophagus kaalinga” एक पृथक और दुर्लभ प्रजाति है।
कर्नाटक से लाया गया साँप इसी पहाड़ी क्षेत्र की प्रजाति का था, जो मध्य भारत की गर्म और खुली जलवायु में जीवित नहीं रह सकता। इसके अलावा, इस तरह के साँपों का अन्य क्षेत्रों में पुनःप्रवेश हाइब्रिड प्रजातियों के निर्माण का खतरा पैदा कर सकता है, जिससे जैव विविधता को क्षति पहुंच सकती है।

मुख्यमंत्री की योजना और उस पर वैज्ञानिक राय

मुख्यमंत्री का मानना है कि किंग कोबरा अन्य साँपों को खाकर उनकी संख्या को नियंत्रित कर सकता है। लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि किंग कोबरा सामान्यतः मानव बस्तियों से दूर रहता है और उसका प्रभाव तभी दिखेगा जब वह व्यापक रूप से फैलेगा — जिसमें दशकों लग सकते हैं।
इसके अलावा, उन्होंने राज्य में साँपों की गणना की बात कही है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जंगल में साँपों की गणना करना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से न तो संभव है और न ही आवश्यक। दुनिया में कहीं भी साँप गणना का कोई मानक प्रोटोकॉल नहीं है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • किंग कोबरा एकमात्र साँप है जो अपने अंडों के लिए घोंसला बनाता है।
  • यह मुख्य रूप से अन्य साँपों को खाता है — विशेषतः विषैले और गैर विषैले दोनों।
  • 2021 के शोध के अनुसार Ophiophagus kaalinga को वेस्टर्न घाट में स्थानिक प्रजाति के रूप में पहचाना गया।
  • IUCN द्वारा किंग कोबरा को “vulnerable” श्रेणी में रखा गया है, लेकिन नई प्रजातियों के अलगाव के बाद इसकी स्थिति अधिक गंभीर हो सकती है।

मध्य प्रदेश सरकार की यह योजना, भले ही इरादतन जनहित में हो, परंतु जैविक विविधता, पारिस्थितिक संतुलन और वैज्ञानिक प्रमाणों के बिना यह एक अस्थिर और खतरनाक प्रयोग सिद्ध हो सकती है। यदि साँप काटने से मौतें रोकनी हैं, तो प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं का सुदृढ़ीकरण, विषरोधी दवाओं की उपलब्धता और जागरूकता अभियान अधिक व्यावहारिक और प्रभावी उपाय होंगे।

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