मध्यकालीन भारत का इतिहास

मध्यकालीन भारत का इतिहास

भारत में मध्य युग परिवर्तनों का युग था। मध्य युग में भारत ने एक विशाल परिवर्तन का अनुभव किया। भारत का मध्यकालीन इतिहास मोहम्मद बिन गजनी के आक्रमण के साथ शुरू हुआ। मोहम्मद गोरी ने उसके नक्शेकदम पर चलते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में आक्रमण किए। 1992 में मोहम्मद गोरी ने दिल्ली के तोमर शासक पृथ्वीराज चौहान को परास्त कर दिया और भारतीय इतिहास के समृद्ध समय में अपने नाम को सुनहरे अक्षरों में अंकित किया। उसके गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से 1210 तक शासन किया। कुतुबुद्दीन के वंश को गुलाम वंश का नाम दिया गया था। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने 1210 से 1236 तक अपने शासन के दौरान विरासत को आगे बढ़ाया। गुलाम वंश के बाद खिलजी वंश, तुगलक, सैयद, लोदी ने उत्तर भारत पर शासन किया। इस काल को दिल्ली सल्तनत के नाम से जाना जाता है।
राजस्थान में राजपूत एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरे। इसके अलावा मालवा और गुजरात सल्तनत भी प्रमुख थी। दक्षिण मे बहमनी सल्तनत मुस्लिम और विजयनगर साम्राज्य हिंदुओं के साम्राज्य के रूप में उभरे।
1526 ई. में, बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में लोदी वंश के इब्राहिम लोधी को हराया और भारत में मुगल शासन की स्थापना की। बाबर के बाद हुमायूँ, अकबर, जहांगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब मुगल वंश के शक्तिशाली शासक थे। इसके बाद देश पर मराठों का राज्य प्रारम्भ हुआ।
मराठा साम्राज्य
मराठा साम्राज्य की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1673 में की थी। इसे पेशवाओं ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से आगे बढ़ाया। मराठा साम्राज्य ने देश के एक बड़े हिस्से पर लंबे समय तक शासन किया।
मध्यकाल के दौरान हिंदुओं मे कबीर, तुलसीदास, सूरदास आदि के नेतृत्व में सुधारवादी आंदोलन हुआ जबकि मुस्लिमों में सूफी आंदोलन हुआ। मध्यकाल में साहित्य में भी काफी विकास हुआ।
मध्ययुगीन भारत का इतिहास वीरता और आक्रमण की कहानी को उजागर करता है।

Originally written on August 16, 2021 and last modified on August 16, 2021.

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