मथुरा-वृंदावन रेल लाइन परियोजना स्थायी रूप से बंद: रेलवे मंत्रालय ने बताया “अर्थहीन”

मथुरा-वृंदावन रेल लाइन परियोजना स्थायी रूप से बंद: रेलवे मंत्रालय ने बताया “अर्थहीन”

रेलवे मंत्रालय ने मथुरा-वृंदावन मीटर गेज रेललाइन को ब्रॉड गेज में परिवर्तित करने की बहुप्रतीक्षित परियोजना को स्थायी रूप से बंद कर दिया है। अनुमानित ₹402 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना को “अर्थहीन” करार देते हुए मंत्रालय ने स्थानीय लोगों के विरोध और आर्थिक गणना के आधार पर यह निर्णय लिया है।

परियोजना का इतिहास और प्रगति

यह मीटर गेज रेल लाइन ब्रिटिश काल में लगभग 100 वर्ष पूर्व बनाई गई थी। इस पर एक डिब्बे वाली रेल बस दिन में दो बार चलती थी, जिसे 2023 की शुरुआत में ब्रॉड गेज कार्य के लिए बंद कर दिया गया था।
ब्रॉड गेज में परिवर्तन की यह योजना 2017-18 में स्वीकृत हुई थी। फरवरी 2023 में ISC नामक कंपनी को ₹191 करोड़ का ठेका दिया गया था, और 31 मार्च 2023 से नया ट्रैक बिछाने का कार्य शुरू हुआ। साथ ही कृष्ण जन्मभूमि और वृंदावन रेलवे स्टेशनों के लिए ₹38 करोड़ का ठेका HOG प्रोजेक्ट्स को मई 2023 में दिया गया।

स्थानीय विरोध और बाधाएँ

जब जून 2023 में मथुरा की ओर से ट्रैक निर्माण शुरू हुआ, तो स्थानीय लोगों ने विरोध दर्ज कराया। उनका कहना था कि पहले मीटर गेज ट्रैक समतल भूमि पर था, जिससे उन्हें पटरियों को पार करने में सुविधा थी। लेकिन नया ब्रॉड गेज ट्रैक ऊँचे तटबंध (एम्बैंकमेंट) पर बनाया जा रहा था, जिससे पैदल पार करना कठिन हो जाता।
1 सितंबर 2023 को अधिकारियों, जिला प्रशासन, नगर निगम, स्थानीय निवासियों और उनके प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। अधिकांश लोगों ने मांग की कि रेलवे भूमि पर रेललाइन के बजाय एक सड़क बनाई जाए।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • मीटर गेज से ब्रॉड गेज परिवर्तन की योजना 2017-18 में स्वीकृत हुई थी।
  • परियोजना की अनुमानित लागत ₹402 करोड़ थी।
  • ब्रॉड गेज ट्रैक का निर्माण मार्च 2023 से शुरू हुआ था।
  • परियोजना के लिए दो प्रमुख ठेके दिए गए थे — ISC (₹191 करोड़) और HOG Projects (₹38 करोड़)।
  • स्थानीय विरोध मुख्यतः तटबंध पर बनने वाले ट्रैक और पैदल पार की असुविधा को लेकर था।

आलोचना और संभावित नुकसान

रेलवे से जुड़े कुछ विशेषज्ञों ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे रेलवे की दूरदर्शिता और योजना निर्माण पर प्रश्नचिन्ह लगता है। यह निर्णय न केवल आर्थिक नुकसान की आशंका बढ़ाता है, बल्कि पहले से किए गए कार्य और खर्च भी व्यर्थ हो सकते हैं।

Originally written on June 11, 2025 and last modified on June 11, 2025.

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