मणिपुर दौरे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू: संघर्षों के बीच एकजुटता और संवेदना की पहल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दो दिवसीय मणिपुर दौरा राज्य में गहरे विभाजन और संघर्ष की पृष्ठभूमि में हो रहा है। जहां एक ओर यह यात्रा राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा राज्य के प्रति चिंता और संवेदना का संकेत मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर यह विभिन्न समुदायों के बीच विरोधाभासी प्रतिक्रियाएं भी उत्पन्न कर रही है।
सुरक्षा व्यवस्था और बंद का आह्वान
राष्ट्रपति की यात्रा के मद्देनज़र सुरक्षा बलों ने इंफाल एयरपोर्ट से लेकर नुपी लाल स्मारक परिसर तक के मार्गों पर सख्त सुरक्षा व्यवस्था की है। राष्ट्रपति मुर्मू 12 दिसंबर को महिला स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में नुपी लाल दिवस समारोह में भाग लेंगी।
हालांकि, वादी क्षेत्र आधारित उग्रवादी गठबंधन कोरकॉम (CorCom) ने इस यात्रा के विरोध में राज्यव्यापी बंद की घोषणा की है। उनका कहना है कि यह दौरा केंद्र सरकार द्वारा राज्य पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है।
कोरकॉम का विरोध और आरोप
कोरकॉम में शामिल छह प्रतिबंधित संगठनों ने राष्ट्रपति के दौरे को “अस्वीकार्य” करार दिया है और आरोप लगाया है कि सरकार राज्य में दमनात्मक अभियान चला रही है।
इनका यह भी कहना है कि नुपी लाल दिवस का प्रयोग भारत के शासन को वैध ठहराने के लिए किया जा रहा है। इस कारण उन्होंने जनता से 11–12 दिसंबर को पूर्ण बंद का पालन करने का आग्रह किया है।
कुकी जो काउंसिल का स्वागत और अपील
दूसरी ओर, कुकी जो काउंसिल ने राष्ट्रपति मुर्मू के दौरे का गर्मजोशी से स्वागत किया है। उन्होंने उन्हें एक ऐसी नेता के रूप में देखा है जो आदिवासी समुदायों की गरिमा और संघर्ष को समझती हैं।
काउंसिल ने आग्रह किया है कि राष्ट्रपति अपने कार्यक्रम में बदलाव कर कुकी जो क्षेत्रों का दौरा करें, जहां हिंसा के कारण विस्थापित परिवार आज भी मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मणिपुर दौरा 12 दिसंबर से दो दिनों के लिए हो रहा है।
- कोरकॉम (CorCom) — छह प्रतिबंधित संगठनों का गठबंधन — ने इस दौरे के विरोध में पूर्ण बंद का आह्वान किया है।
- राष्ट्रपति इंफाल के नुपी लाल स्मारक पर महिला स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देंगी।
- कुकी जो काउंसिल ने राष्ट्रपति से हिंसा प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों का दौरा करने की अपील की है।
दौरे से अपेक्षाएं और संभावनाएँ
राष्ट्रपति की उपस्थिति को राज्य की जटिल सामाजिक और मानवीय समस्याओं पर राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान केंद्रित करने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है।
बहुसंख्यक उम्मीद कर रहे हैं कि यह यात्रा शांति, न्याय और पुनर्वास की दिशा में नई शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करेगी, विशेष रूप से उन आदिवासी परिवारों के लिए जो अब भी सुरक्षा और पुनर्स्थापन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
इस दौरे से यह संकेत भी जाता है कि भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन नेतृत्व मणिपुर की संवेदनशील स्थितियों को सुनने और समझने को तैयार है।