भैंस प्रजनन में क्रांति: भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया अंडे की जर्दी रहित सीमन संरक्षक ‘CRYODIL’
भारतीय पशु विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल न्यूट्रीशन एंड फिजियोलॉजी (NIANP) के वैज्ञानिकों ने भैंसों के वीर्य को सुरक्षित रखने के लिए ‘CRYODIL’ नामक एक तैयार-प्रयोग (Ready-to-use), अंडे की जर्दी रहित और 18 माह की शेल्फ लाइफ वाला समाधान विकसित किया है। यह नवाचार भारतीय डेयरी उत्पादकता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
अब तक भारत में ‘एलीट’ भैंसों के वीर्य को सुरक्षित रखने के लिए अंडे की जर्दी-आधारित समाधान का उपयोग किया जाता था, जिसमें कई वैज्ञानिक और व्यवहारिक सीमाएँ थीं। CRYODIL न केवल इन समस्याओं का समाधान करता है, बल्कि यह सुरक्षित, टिकाऊ और लागत में भी किफायती है।
पारंपरिक विधियों की समस्याएँ
अंडे की जर्दी-आधारित एक्सटेंडर की कई खामियाँ थीं:
- ताज़ा अंडे की आवश्यकता और सीमित शेल्फ लाइफ।
- अंडों में संरचना भिन्न होने से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में अस्थिरता।
- माइक्रोब्स का संक्रमण फैलने का खतरा।
- अंडे से जर्दी अलग करने की जटिल प्रक्रिया।
- जर्दी में कुछ अज्ञात तत्व शुक्राणुओं की गति कम कर सकते हैं, जिससे गर्भधारण की संभावना घट जाती है।
CRYODIL की वैज्ञानिक खोज
NIANP के वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान यह पाया कि भैंस या गाय के दूध से प्राप्त व्हे प्रोटीन (whey proteins) बिना दूध की शर्करा के, शुक्राणुओं की गतिशीलता और जीवन शक्ति को सुरक्षित बनाए रखने में सक्षम है। केसिन जैसे दूध प्रोटीन इसके लिए उपयुक्त नहीं पाए गए।
CRYODIL का परीक्षण 24 भैंसों पर किया गया, जिसमें यह देखा गया कि इस समाधान से संरक्षित वीर्य में “पोस्ट-थॉ” स्पर्म गतिशीलता (freezing और thawing के बाद शुक्राणुओं की सक्रियता) पारंपरिक विधियों से काफी बेहतर थी। इससे गर्भाधान की सफलता की संभावना बढ़ती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- CRYODIL भारत का पहला स्वदेशी अंडे की जर्दी रहित सीमन एक्सटेंडर है, विशेषकर भैंसों के लिए।
- पारंपरिक रूप से 3–5 मि.ली. वीर्य को 40–50 गुना तक पतला किया जाता है ताकि अधिक गर्भाधानों के लिए इस्तेमाल हो सके।
- व्हे प्रोटीन में जैव-सक्रिय तत्व होते हैं जो शुक्राणुओं की झिल्ली की सुरक्षा और ऊर्जा संतुलन बनाए रखते हैं।
- इस समाधान को 18 महीनों तक रेफ्रिजरेटर में सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे भंडारण और परिवहन में सुविधा होती है।
NIANP ने इस नवाचार के लिए पेटेंट आवेदन भी किया है। वर्तमान में महाराष्ट्र के उरुली कांचन (पुणे) स्थित BAIF विकास अनुसंधान संस्था में इस पर फर्टिलिटी ट्रायल चल रहा है। इसके पूर्ण होते ही यह उत्पाद व्यावसायिक रूप से किसानों और कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।