भूटान-भारत ऊर्जा सहयोग का नया अध्याय: दोरजीलुंग जलविद्युत परियोजना की शुरुआत

इस सप्ताह भूटान ने 1125 मेगावाट की दोरजीलुंग जलविद्युत परियोजना के लिए निर्माण कार्य का शुभारंभ किया, जो केवल एक बाँध का निर्माण नहीं, बल्कि भारत-भूटान आर्थिक सहयोग में निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ एक रणनीतिक बदलाव का संकेत है। इस परियोजना में भारत की टाटा पावर कंपनी लिमिटेड और भूटान की डुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन (DGPC) के संयुक्त उपक्रम के रूप में सहभागिता ने ऊर्जा साझेदारी को एक नई ऊँचाई दी है।
परियोजना का ढांचा और महत्व
दोरजीलुंग परियोजना एक रन-ऑफ-द-रिवर योजना है जो भूटान की कुरिचु नदी पर विकसित की जा रही है। इसका बाँध और हेडरेस टनल मोंगार जिले में स्थित है और जलाशय का एक भाग लुएंत्से जिले तक फैला है। 139.5 मीटर ऊँचाई वाले कंक्रीट-ग्रैविटी बाँध से 15 किलोमीटर लंबे हेडरेस टनल द्वारा पानी भूमिगत पावरहाउस तक पहुँचाया जाएगा, जहाँ छह फ्रांसिस टरबाइन लगे होंगे। यह संयंत्र प्रति वर्ष लगभग 4.5 टेरावाट-घंटा बिजली उत्पन्न करेगा।
परियोजना की कुल लागत लगभग 1.7 अरब डॉलर (₹150 अरब) आंकी गई है, जिसमें प्रारंभिक अवसंरचना कार्यों की लागत ₹500 करोड़ के आसपास है। यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित है।
रणनीतिक साझेदारी और निजी भागीदारी
दोरजीलुंग परियोजना में टाटा पावर की सहभागिता केवल तकनीकी नहीं, बल्कि वित्तीय भी है। इससे पहले नवंबर 2023 में टाटा पावर ने DGPC के साथ 5000 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के संयुक्त विकास के लिए रणनीतिक साझेदारी की थी, जिसमें जलविद्युत और सौर ऊर्जा परियोजनाएँ शामिल हैं। इनमें दोरजीलुंग के अलावा गोंगरी, जेरी और चामखर्चु-IV परियोजनाएँ भी शामिल हैं। साथ ही, टाटा पावर की सहायक कंपनी TPREL द्वारा 500 मेगावाट की सौर परियोजनाएँ भी विकसित की जाएँगी।
टाटा पावर ने पहले से ही 600 मेगावाट की खोरलोछू परियोजना में ₹8.3 अरब का निवेश कर 40% हिस्सेदारी प्राप्त की है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- दोरजीलुंग परियोजना भूटान के मोंगार और लुएंत्से जिलों में स्थित है और कुरिचु नदी पर आधारित है।
- परियोजना 6 फ्रांसिस टरबाइनों के माध्यम से 1125 मेगावाट बिजली उत्पादन करेगी।
- यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित है और भारत की टाटा पावर इसमें संयुक्त भागीदार है।
- भारत और भूटान के बीच 2006 के द्विपक्षीय समझौते और 2009 के प्रोटोकॉल के तहत अब तक 2136 मेगावाट की 4 जलविद्युत परियोजनाएँ चालू हो चुकी हैं।
द्विपक्षीय रिश्तों में नया संतुलन
भूटान लंबे समय से भारत की अनुदान आधारित सहायता पर निर्भर रहा है, लेकिन अब वह निवेश-आधारित साझेदारियों की ओर बढ़ रहा है। निजी कंपनियों की भागीदारी, जैसे टाटा पावर, सरकारों के बजाय B2B मॉडल को अपनाने की ओर संकेत करती है। इससे भूटान को अधिक स्वायत्तता मिलती है और परियोजनाओं में रणनीतिक संतुलन बनता है।
इस दृष्टिकोण से, दोरजीलुंग परियोजना केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत-भूटान संबंधों में पारस्परिक विश्वास, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा का भी प्रतीक है। यह हिमालयी क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा के साझा भविष्य की दिशा में एक प्रेरक कदम है।