भिमगड वन्यजीव अभयारण्य में पुनर्वास योजना अटकी, अमगांव के ग्रामीणों ने रखी शर्तें

भिमगड वन्यजीव अभयारण्य में पुनर्वास योजना अटकी, अमगांव के ग्रामीणों ने रखी शर्तें

कर्नाटक के खानापुर तालुक स्थित भिमगड वन्यजीव अभयारण्य (BWS) में वन विभाग की पुनर्वास योजना को अमगांव गांव के ग्रामीणों के विरोध के कारण झटका लगा है। ग्रामीणों ने पुनर्वास के लिए कुछ शर्तें रखी हैं और वर्तमान मुआवजा पैकेज को अपर्याप्त बताते हुए अस्वीकार कर दिया है। यह मामला अब राजनीतिक रंग भी लेने लगा है, क्योंकि स्थानीय कांग्रेस नेता ग्रामीणों की मांगों का समर्थन कर रहे हैं।

तालेवाड़ी से शुरू हुआ था सफल पुनर्वास

इस वर्ष मई में तालेवाड़ी गांव की 27 परिवारों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया था, जिसमें वन मंत्री ईश्वर खांडरे ने मुआवज़ा चेक वितरित किए थे। इसके बाद विभाग ने अपना ध्यान अमगांव की ओर केंद्रित किया। शुरुआत में कुछ परिवारों ने स्थानांतरण के लिए सहमति भी दी, जिसके आधार पर प्रशासन ने औपचारिक प्रक्रियाएँ शुरू कीं। उपायुक्त मोहम्मद रोशन ने स्थानीय तहसीलदार को विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश भी दिए थे।

ग्रामीणों की मुख्य मांगें

2011 की जनगणना के अनुसार, अमगांव गांव में कुल 78 परिवार और 378 निवासी (203 पुरुष, 175 महिलाएं) हैं। अब अधिकांश ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे केवल ₹15 लाख के मुआवज़े पर स्थानांतरित नहीं होंगे। उन्होंने पुनर्वास स्थल पर बुनियादी सुविधाएं — जैसे पक्के मकान, सड़क संपर्क और बिजली — पहले से सुनिश्चित करने की मांग की है।
कांग्रेस कार्यकर्ता सुरेश जाधव ने बताया कि यह मांग पूर्व विधायक अंजलि निंबालकर के निर्देश पर सामने लाई गई है। उन्होंने कहा, “ग्रामीण पुनर्वास के विरोध में नहीं हैं, लेकिन चाहते हैं कि उन्हें न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। वर्तमान पैकेज उनके जीवनयापन के लिए पर्याप्त नहीं है। हम उनकी चिंताओं को अंजलि निंबालकर तक पहुंचाएंगे।”

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भिमगड वन्यजीव अभयारण्य कर्नाटक के बेलगावी जिले में स्थित है और यह पश्चिमी घाट की जैवविविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • अभयारण्य क्षेत्र में कुल 13 गांव हैं, जिनमें लगभग 754 परिवार रहते हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित करने की योजना है।
  • वर्तमान पुनर्वास योजना के तहत स्वेच्छा से स्थानांतरित होने वाले परिवार को ₹15 लाख का पैकेज दिया जाता है, जिसमें ₹10 लाख अग्रिम और ₹5 लाख बाद में उपयोगिता आधारित होता है।
  • पुनर्वास का उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना और संरक्षित क्षेत्रों में जैवविविधता को सुरक्षित रखना है।

वर्तमान स्थिति में वन विभाग और ग्रामीणों के बीच संवाद जारी है। रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर नदाफ ने पुष्टि की है कि विभाग एक पारस्परिक सहमति तक पहुँचने के लिए लगातार बातचीत कर रहा है।

Originally written on October 28, 2025 and last modified on October 28, 2025.

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