भारत रणभूमि दर्शन के तहत सिक्किम के चो ला और डोक ला पर्यटकों के लिए खुले
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने 17 दिसंबर 2025 को चो ला और डोक ला दर्रों को पर्यटकों के लिए औपचारिक रूप से खोलने की घोषणा की। यह पहल “भारत रणभूमि दर्शन” कार्यक्रम के अंतर्गत की गई है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सीमा विकास और रणनीतिक उपस्थिति को भी सुदृढ़ करता है।
भारत रणभूमि दर्शन पहल
भारत रणभूमि दर्शन रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय की संयुक्त प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोलना है। इस कार्यक्रम का व्यापक उद्देश्य है:
- राष्ट्रीय सुरक्षा चेतना को बढ़ाना
- आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना
- सुविधा व आधारभूत संरचना का निर्माण
- सीमावर्ती गांवों में आजीविका के अवसर बढ़ाना
जीवंत गांव कार्यक्रम के साथ समन्वय
मुख्यमंत्री तमांग ने कहा कि सिक्किम सरकार का दृष्टिकोण है — “अंतिम गांव का पहले विकास“। यह सिद्धांत केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेजेस (Vibrant Villages) योजना से मेल खाता है, जिसका लक्ष्य है सीमावर्ती क्षेत्रों में तेज़ी से विकास करना। उन्होंने कहा कि बेहतर सड़कें, सुविधाएँ और सेवाएं अब इन क्षेत्रों को अवसरों के केंद्र में बदल रही हैं।
भारतीय सेना और राज्य सरकार की भूमिका
मुख्यमंत्री ने भारतीय सेना, पर्यटन विभाग और भारत सरकार को इस परियोजना के लिए सहयोग देने हेतु धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सुरक्षित और टिकाऊ पर्यटन के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास लगातार जारी रहे।
मुख्यमंत्री ने भारतीय सेना द्वारा आयोजित सुपरकार रैली की भी सराहना की और GOC श्री राठौर और उनकी टीम के प्रयासों की प्रशंसा की।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- चो ला और डोक ला सिक्किम के रणनीतिक सीमा क्षेत्र हैं।
- भारत रणभूमि दर्शन रक्षा और पर्यटन मंत्रालयों की संयुक्त पहल है।
- यह पहल सीमा पर्यटन, स्थानीय आजीविका और सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देती है।
- यह योजना वाइब्रेंट विलेजेस कार्यक्रम के उद्देश्यों के साथ तालमेल रखती है।
सिक्किम की सीमाओं पर प्रभाव
चो ला और डोक ला को पर्यटकों के लिए खोलने से सीमा पर्यटन को बढ़ावा, स्थानीय रोजगार सृजन, और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि की अपेक्षा है। इसके अतिरिक्त, यह निर्णय सीमावर्ती क्षेत्रों में जन-जन के संपर्क को सशक्त करेगा और भारत की रणनीतिक उपस्थिति को भी और मजबूती देगा।
यह पहल भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों को विकास और राष्ट्रभक्ति का संगम स्थल बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।