भारत-यूके कनेक्टिविटी एंड इनोवेशन सेंटर: डिजिटल सहयोग की नई दिशा

भारत-यूके कनेक्टिविटी एंड इनोवेशन सेंटर: डिजिटल सहयोग की नई दिशा

भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने हाल ही में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए “भारत-यूके कनेक्टिविटी एंड इनोवेशन सेंटर” की शुरुआत की है। यह पहल दोनों देशों के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और सुरक्षित संचार के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस केंद्र का उद्देश्य डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना और सुरक्षित, नवीन तथा लचीले संचार प्रणालियों के भविष्य को आकार देना है।

सहयोग के तीन प्रमुख क्षेत्र

इस केंद्र की योजना अगले चार वर्षों में तीन रणनीतिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की है, जो 6G तकनीक के तकनीकी और व्यावसायिक स्वरूप को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगे:

  • एआई के माध्यम से टेलीकॉम का रूपांतरण: नेटवर्क को अनुकूलित करने, दक्षता बढ़ाने और नए डिजिटल सेवाओं को सक्षम करने के लिए उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स का उपयोग।
  • नॉन-टेरेस्ट्रियल नेटवर्क (NTNs): उपग्रह और हवाई प्रणालियों के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों तक तेज़ और भरोसेमंद कनेक्टिविटी प्रदान करना।
  • टेलीकॉम साइबर सुरक्षा: खुली, इंटरऑपरेबल और सुरक्षित संचार प्रणालियों के विकास के माध्यम से नेटवर्क की लचीलापन और सुरक्षा को मजबूत करना।

संयुक्त निवेश और अनुसंधान

भारत और यूके दोनों ने मिलकर इस पहल के लिए शुरुआती £24 मिलियन (लगभग ₹250 करोड़) का निवेश किया है, जो चार वर्षों में खर्च किया जाएगा। यह धनराशि अकादमिक और औद्योगिक साझेदारों के बीच अनुसंधान सहयोग, संयुक्त परीक्षण केंद्रों की स्थापना और वैश्विक दूरसंचार मानकों के विकास में भागीदारी के लिए उपयोग की जाएगी।
यह पहल यूके-इंडिया टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव के अंतर्गत लागू की जाएगी, जिसे यूके रिसर्च एंड इनोवेशन (UKRI) और भारत के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • “भारत-यूके कनेक्टिविटी एंड इनोवेशन सेंटर” का उद्देश्य उन्नत कनेक्टिविटी और सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
  • दोनों देशों ने मिलकर इस परियोजना के लिए ₹250 करोड़ का निवेश किया है।
  • यह पहल भारत-यूके 2035 विजन के तहत साझा नवाचार लक्ष्य का हिस्सा है।
  • Non-Terrestrial Networks (NTNs) तकनीक उपग्रहों और ड्रोन आधारित संचार प्रणाली पर आधारित है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है।
Originally written on October 14, 2025 and last modified on October 14, 2025.

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