भारत में AI प्रशिक्षण के लिए अनिवार्य रॉयल्टी भुगतान का प्रस्ताव, वैश्विक स्तर पर पहली पहल
भारत ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रशिक्षण में उपयोग होने वाले कॉपीराइटेड कार्यों के लिए अनिवार्य रॉयल्टी भुगतान को लागू करने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम भारत को ऐसा कानून प्रस्तावित करने वाला पहला देश बनाता है जो AI विकास और रचनात्मक अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में स्पष्ट नीति तैयार करता है।
अनिवार्य लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क की सिफारिश
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) की एक विशेषज्ञ समिति ने एक ‘हाइब्रिड मॉडल’ की सिफारिश की है, जिसमें ब्लैंकेट लाइसेंसिंग और वैधानिक रॉयल्टी भुगतान दोनों को शामिल किया गया है।
इस मॉडल के तहत:
- AI डेवलपर्स को कॉपीराइटेड सामग्री तक स्वतः पहुंच मिलेगी।
- रचनाकारों को एक विनियमित तंत्र के माध्यम से निश्चित रॉयल्टी मिलेगी।
यह प्रणाली रचनाकारों को उनकी सामग्री के उपयोग पर पारिश्रमिक सुनिश्चित करने के साथ-साथ तकनीकी नवाचार को भी बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास है।
उद्योग संगठन का विरोध: नवाचार पर “कर” बताया
भारत की प्रमुख IT संस्था NASSCOM सहित कई तकनीकी संगठनों ने इस प्रस्ताव की तीखी आलोचना की है।
- उन्होंने इसे “नवाचार पर कर” बताया और कहा कि इससे स्टार्टअप और छोटे AI डेवलपर्स के लिए बाधाएं उत्पन्न होंगी।
- उन्होंने यह भी इंगित किया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित क्षेत्र अब तक इस तरह की अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रणाली नहीं अपनाए हैं, भले ही वहाँ रचनाकारों को भुगतान को लेकर चर्चा जारी है।
सरकार का रुख: समावेशी नवाचार और न्यायसंगत पारिश्रमिक
विरोध के बावजूद भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय इस प्रस्तावित ढांचे के समर्थन में सामने आए हैं।
- प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि यह मॉडल प्रशिक्षण डेटा की समग्र उपलब्धता को सुनिश्चित करता है और साथ ही रचनात्मक श्रम के लिए उचित पारिश्रमिक का मार्ग प्रशस्त करता है।
- सरकार का मानना है कि यह प्रणाली भारत के दीर्घकालिक डिजिटल और नवाचार लक्ष्यों के अनुरूप है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत AI प्रशिक्षण डेटा पर रॉयल्टी अनिवार्य करने वाला पहला देश बन सकता है।
- DPIIT की समिति ने ब्लैंकेट लाइसेंसिंग के साथ वैधानिक भुगतान की सिफारिश की है।
- NASSCOM ने प्रस्ताव को नवाचार विरोधी करार दिया है।
- भारत सरकार के मंत्रालयों ने प्रस्तावित मॉडल का समर्थन किया है।
रॉयल्टी कलेक्टिव संस्था की स्थापना का प्रस्ताव
प्रस्ताव में एक “कॉपीराइट रॉयल्टीज़ कलेक्टिव फॉर AI ट्रेनिंग” नामक गैर-लाभकारी संस्था की स्थापना की बात कही गई है।
- यह संस्था रचनाकारों से अधिकार प्राप्त करेगी, रॉयल्टी एकत्र करेगी और संबंधित अधिकारधारकों को वितरित करेगी।
- AI डेवलपर्स के लिए यह संस्था अनुपालन को सरल बनाएगी और एक विनियमित राष्ट्रीय डेटा मार्केटप्लेस की भूमिका निभाएगी।
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह भारत में AI विकास के परिदृश्य को कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण से नया आकार देगा। इससे जहां एक ओर रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा होगी, वहीं दूसरी ओर AI नवाचार के लिए एक स्पष्ट और संतुलित ढांचा विकसित होगा।