भारत में शहद उत्पादन दोगुना: सामुदायिक पहल और पारंपरिक ज्ञान से नई मिठास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 128वें संस्करण में घोषणा की कि भारत ने वार्षिक शहद उत्पादन को दोगुना कर 1.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक तक पहुँचा दिया है, जबकि निर्यात में भी हाल के वर्षों में तीन गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय सामुदायिक प्रयासों, आधुनिक प्रसंस्करण केंद्रों और पारंपरिक मधुमक्खी पालन प्रथाओं के संयोजन को दिया। यह उपलब्धि न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त कर रही है, बल्कि प्राकृतिक कृषि और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
क्षेत्रीय सफलता की कहानियाँ
प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों में शहद उत्पादन से जुड़ी प्रेरणादायक पहलें साझा कीं। जम्मू-कश्मीर के रंबन सुलई शहद को हाल ही में भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त हुआ है। यह शहद स्थानीय जंगली तुलसी से तैयार होता है और अपनी विशिष्ट सुगंध व गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है।कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में किसानों के संगठन ग्रामजन्य (Gramjanya) ने अत्याधुनिक प्रसंस्करण और ट्रेसबिलिटी केंद्र स्थापित किया है, जिससे 2,500 से अधिक मधुमक्खी पालकों को सीधा लाभ मिल रहा है। इसी तरह, तुमकुर जिले में शिवगंगा कलांजिया पहल के तहत किसानों को मधुमक्खी बॉक्स, प्रशिक्षण और सामूहिक शहद निष्कर्षण सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
पूर्वोत्तर की पारंपरिक मधुमक्खी पालन विधियाँ
प्रधानमंत्री ने नागालैंड की खियामनी-यांगन जनजाति की पारंपरिक “क्लिफ-हनी हार्वेस्टिंग” तकनीक की भी सराहना की। यह पीढ़ियों से चली आ रही जटिल विधि है जिसमें पहाड़ी चट्टानों से प्राकृतिक छत्तों से शहद एकत्र किया जाता है। इस प्रकार की पारंपरिक पद्धतियाँ भारत के शहद की विविधता को समृद्ध करती हैं और ग्रामीण समुदायों के आजीविका स्रोतों को मजबूत बनाती हैं, साथ ही जैविक संतुलन को बनाए रखने में योगदान देती हैं।
उत्पादन और रोजगार में बढ़ोतरी
पिछले 11 वर्षों में भारत का शहद उत्पादन 76,000 मीट्रिक टन से बढ़कर 1.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो गया है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के हनी मिशन के तहत अब तक 2.25 लाख से अधिक मधुमक्खी बॉक्स वितरित किए गए हैं। इस अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों लोगों को रोजगार दिया है और देश के शहद बाजार का विस्तार किया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत का शहद उत्पादन 76,000 मीट्रिक टन से बढ़कर 1.5 लाख मीट्रिक टन (11 वर्षों में) हुआ।
- रंबन सुलई शहद (जम्मू-कश्मीर) को GI टैग प्राप्त हुआ।
- KVIC ने 2.25 लाख मधुमक्खी बॉक्स हनी मिशन के तहत वितरित किए।
- ग्रामजन्य और शिवगंगा कलांजिया दो प्रमुख सामुदायिक पहलें हैं जो मधुमक्खी पालकों को सहायता देती हैं।
प्राकृतिक खेती और सतत विकास की दिशा में
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी रेखांकित किया कि देशभर में प्राकृतिक खेती का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। प्रशिक्षित पेशेवरों और युवा किसानों की भागीदारी से यह आंदोलन मधुमक्खी पालन जैसे क्षेत्रों को पूरक बना रहा है। पारंपरिक कृषि ज्ञान पर आधारित यह पद्धति न केवल मिट्टी और जल संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि परागणकर्ताओं (pollinators) के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर ग्रामीण समृद्धि और पारिस्थितिक संतुलन दोनों को सुनिश्चित करती है।