भारत में शतरंज

भारत में शतरंज

भारत में शतरंज को हमेशा अत्यधिक लोकप्रिय माना जाता रहा है। भारत में शतरंज की एक प्राचीन परंपरा है। शतरंज का आविष्कार भारत में किया गया था। भारत में आधुनिक शतरंज आधुनिक भारत ने लगातार असाधारण शतरंज पेशेवर तैयार किए हैं। इसका उपयोग वैदिक काल की भारतीय सेना का वर्णन करने के लिए भी किया जाता था।
भारत में शतरंज ने ब्रिटिश शासन के दौरान आधुनिकता की पहली धारा प्राप्त की। भारत की स्वतंत्रता के बाद 1951 में अखिल भारतीय शतरंज संघ की स्थापना हुई। अखिल भारतीय शतरंज महासंघ अपनी स्थापना के बाद से शतरंज के विकास के लिए अथक प्रयास कर रहा है। भारत में शतरंज के लिए राष्ट्रीय निकाय के रूप में AICF ने भारतीय शतरंज के बेहतर प्रबंधन के लिए भारत में सभी प्रकार की शतरंज संबंधी गतिविधियों की शुरुआत और पर्यवेक्षण किया। AICF को राज्य शतरंज संघों से भी काफी मदद मिली है।भारतीय शतरंज टूर्नामेंट विभिन्न स्तरों पर आयोजित किए जाते हैं, जैसे जिला स्तर, राज्य स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर। टूर्नामेंट विभिन्न आयु वर्गों जैसे अंडर -7, अंडर -9, अंडर -11, अंडर -15, अंडर -19, जूनियर, सीनियर स्तरों में भी आयोजित किए जाते हैं। भारत में भी पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं।
भारतीय शतरंज संघों का योगदान
भारतीय शतरंज संघों को अब तक प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ियों को बाहर लाने में काफी सफलता मिली है, क्योंकि आजकल बड़ी संख्या में भारतीय शतरंज खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं। भारत सरकार भारत में खेलों को और लोकप्रिय बनाने के लिए प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित करती रही है। शतरंज में कई अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं। शतरंज में कुछ सबसे महत्वपूर्ण अर्जुन पुरस्कार विजेताओं में मैनुअल आरोन, रोहिणी खादिलकर, विश्वनाथन आनंद, दिब्येंदु बरुआ, प्रवीण थिप्से, सुब्बारामन विजयलक्ष्मी, पी हरिकृष्ण, आदि शामिल हैं।

Originally written on August 5, 2021 and last modified on August 5, 2021.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *