भारत में वन पर्यावरण लेखांकन पर पहली समर्पित रिपोर्ट: “फॉरेस्ट -2025” का विमोचन

भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA) को अपनाया था। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में मंत्रालय ने 25 सितंबर 2025 को “वन पर्यावरण लेखांकन-2025” शीर्षक से पहली समर्पित रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट 29वें केंद्रीय और राज्य सांख्यिकीय संगठनों के सम्मेलन (CoCSSO) के उद्घाटन सत्र के दौरान चंडीगढ़ में जारी की गई। यह रिपोर्ट भारत और विभिन्न राज्यों में वन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति और सेवाओं पर व्यापक जानकारी प्रस्तुत करती है।
रिपोर्ट की संरचना और उद्देश्य
“वन पर्यावरण लेखांकन-2025” रिपोर्ट दो खंडों में प्रकाशित की गई है। पहला खंड राष्ट्रीय स्तर पर वन परिसंपत्तियों से संबंधित आंकड़ों और विधियों को स्पष्ट करता है, जिसमें भौतिक संपत्ति लेखा, विस्तार लेखा, स्थिति लेखा, और सेवा लेखा शामिल हैं। दूसरा खंड राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर पर आंकड़ों को प्रस्तुत करता है, जिसमें दशकीय परिवर्तन और क्षेत्रीय विश्लेषण शामिल हैं। रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य देश में वनों के संरक्षण, पुनरुत्थान और उनके आर्थिक योगदान को दस्तावेज करना है।
भौतिक संपत्ति लेखा में वृक्षावरण में उल्लेखनीय वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार 2010-11 से 2021-22 के बीच भारत में वन क्षेत्र में 17,444.61 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई, जो कि 22.50% की बढ़ोतरी है। कुल वन क्षेत्र 7.15 लाख वर्ग किलोमीटर (देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.76%) तक पहुंच गया है। यह वृध्दि पुनरुत्थान और संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। राज्यवार आंकड़ों में केरल (4,137 वर्ग किमी), कर्नाटक (3,122 वर्ग किमी) और तमिलनाडु (2,606 वर्ग किमी) अग्रणी रहे।
विस्तार और स्थिति लेखा के विश्लेषण
2013 से 2023 के बीच विस्तार लेखा में 3,356 वर्ग किमी की वृद्धि दर्ज की गई, जो मुख्यतः पुनर्वर्गीकरण और सीमाओं के समायोजन के कारण हुई। उत्तराखंड, ओडिशा और झारखंड ने रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया (RFA) में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की।
वहीं, स्थिति लेखा में ग्रोइंग स्टॉक (विकसित पेड़ों में उपयोगी लकड़ी की मात्रा) को मापा गया। 2013 से 2023 के दौरान भारत का ग्रोइंग स्टॉक 305.53 मिलियन घन मीटर (7.32%) बढ़ा। मध्य प्रदेश (136 मिलियन), छत्तीसगढ़ (51 मिलियन) और तेलंगाना (28 मिलियन) प्रमुख योगदानकर्ता रहे।
वन सेवाओं का आर्थिक मूल्यांकन
प्रावधान सेवाएं: लकड़ी और गैर-लकड़ी उत्पादों से प्राप्त मूल्य 2011-12 में ₹30.72 हजार करोड़ से बढ़कर 2021-22 में ₹37.93 हजार करोड़ हो गया, जो 2021-22 की जीडीपी का 0.16% है। महाराष्ट्र, गुजरात और केरल इस श्रेणी में अग्रणी रहे।
नियामक सेवाएं (कार्बन अवशोषण): 2015-16 से 2021-22 के बीच कार्बन अवशोषण सेवाओं का मूल्य 51.82% बढ़कर ₹620.97 हजार करोड़ हो गया, जो उस वर्ष की जीडीपी का 2.63% है। अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और असम इस क्षेत्र में शीर्ष योगदानकर्ता हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में वन क्षेत्र अब कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.76% है।
- SEEA फ्रेमवर्क संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण लेखांकन के लिए विकसित अंतरराष्ट्रीय मानक है।
- “India State of Forest Report (ISFR)” भारत में वनों की स्थिति का द्विवर्षीय मूल्यांकन करती है।
- “Environmental Accounting on Forest – 2025” रिपोर्ट MoSPI की वेबसाइट पर उपलब्ध है।