भारत में बाल यौन शोषण की भयावह तस्वीर: लैंसेट अध्ययन की चौंकाने वाली रिपोर्ट

भारत में बाल यौन शोषण की समस्या न केवल गंभीर है बल्कि गहराई से जमी हुई है, जैसा कि हाल ही में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन से सामने आया है। यह अध्ययन 1990 से 2023 तक 204 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण करता है और यह बताता है कि भारत इस संकट के सबसे बड़े केंद्रों में से एक बन चुका है।

भारत में बाल यौन शोषण की स्थिति

अध्ययन में यह पाया गया कि भारत में लगभग एक तिहाई महिलाएं (30.8%) और हर दस में से एक से अधिक पुरुष (13.5%) 18 वर्ष की आयु से पहले यौन शोषण का शिकार हुए हैं। यह आंकड़ा महिलाओं के मामले में वैश्विक औसत से कहीं अधिक है और यह भारत को सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में शामिल करता है।
विशेष रूप से 20-24 आयु वर्ग के युवा वयस्कों में, 26.9% महिलाएं और 9.4% पुरुषों ने बताया कि वे अपने बचपन में यौन हिंसा का सामना कर चुके हैं। इसका अर्थ यह है कि यह समस्या न केवल व्यापक है बल्कि समय के साथ निरंतर बनी हुई है।

यौन शोषण की शुरुआत: एक संकीर्ण समय खिड़की

इस अध्ययन ने यह भी बताया कि अधिकांश पीड़ितों ने पहली बार यौन हिंसा का अनुभव बचपन या किशोरावस्था में किया। महिलाओं में यह संख्या 67.3% और पुरुषों में 71.9% थी। यह स्पष्ट करता है कि बाल्यावस्था वह समय है जब इस तरह के अपराधों को रोका जा सकता है, यदि सही नीतियाँ और समर्थन प्रणाली मौजूद हों।

भारत में बाल सुरक्षा की कमजोर कड़ियाँ

हालांकि भारत में बाल यौन शोषण के विरुद्ध कानून मौजूद हैं, लेकिन रिपोर्ट यह बताती है कि डेटा संग्रह की नियमितता और सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता में भारी कमी है। साथ ही, सामाजिक कलंक, विशेष रूप से पुरुषों में, रिपोर्टिंग में एक बड़ी बाधा बना हुआ है। इस अध्ययन ने यह भी रेखांकित किया कि लड़कों के साथ यौन शोषण की घटनाएं अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती हैं, जिससे उनकी आवाज दब जाती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में 2012 में लागू POCSO अधिनियम बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • इस अधिनियम के तहत प्रत्येक राज्य में बाल कल्याण समिति (CWC) का गठन अनिवार्य है।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकारों से जुड़े कन्वेंशन (UNCRC) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • यौन शोषण की रिपोर्टिंग के लिए टेलीफोन हेल्पलाइन 1098 पूरे भारत में सक्रिय है।
  • शिक्षा व्यवस्था में बच्चों को “गुड टच-बैड टच” की जानकारी देना अनिवार्य किया जा रहा है।

भारत में बाल यौन शोषण की व्यापकता एक गहरी सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती है, जिसे केवल कानून से नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता, शिक्षा व्यवस्था में सुधार और बाल सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ कर ही सुलझाया जा सकता है। यह आवश्यक है कि समाज इस विषय पर खुलकर चर्चा करे और बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य देने के लिए एकजुट होकर कार्य करे।

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