भारत में बच्चों में स्टंटिंग की चुनौती: क्यों ‘मिशन 25’ विफल हो गया?

भारत सरकार ने 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत करते हुए बच्चों में स्टंटिंग (अल्पविकास) को हर वर्ष 2% अंक तक कम करने का लक्ष्य रखा था। इसके तहत 2022 तक स्टंटिंग दर को 25% तक लाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया, जिसे ‘मिशन 25 बाय 2022’ कहा गया। लेकिन 2025 के पोषण ट्रैकर आंकड़े बताते हैं कि भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग की दर अब भी 37% है — जो 2016 की तुलना में मात्र 1% कम है।

स्टंटिंग क्या है और इसके कारण

स्टंटिंग का अर्थ है बच्चे का अपनी उम्र के अनुसार बहुत छोटा कद होना, जो दीर्घकालिक कुपोषण का संकेत है। इसके पीछे कई गहरे और बहुआयामी कारण होते हैं:

  • मातृ स्वास्थ्य और किशोरावस्था में गर्भधारण: किशोर माताओं के शरीर गर्भधारण के लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं होते, जिससे उनके शिशुओं में जन्म के समय से ही वृद्धि में बाधा होती है। भारत में 2019-21 के बीच 15-19 वर्ष की करीब 7% महिलाएं मातृत्व में प्रवेश कर चुकी थीं।
  • शिक्षा का स्तर: अशिक्षित माताओं के बच्चों में स्टंटिंग की दर 46% पाई गई, जबकि 12 वर्ष या अधिक शिक्षित माताओं के बच्चों में यह दर केवल 26% थी। इससे स्पष्ट है कि मातृ शिक्षा पोषण और स्वास्थ्य संबंधी निर्णयों में अहम भूमिका निभाती है।
  • सी-सेक्शन और स्तनपान में व्यवधान: भारत में सीज़ेरियन प्रसव की दर 2005-06 में 9% से बढ़कर 2021 में 22% हो गई है। सी-सेक्शन के कारण प्रारंभिक स्तनपान में बाधा आती है, जिससे नवजात को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते।
  • अल्पपोषण और खराब आहार गुणवत्ता: 2019-21 के आंकड़ों के अनुसार, केवल 11% बच्चों को न्यूनतम स्वीकार्य आहार मिल पाया। गरीब और आदिवासी समुदायों में मुख्यतः चावल आधारित भोजन लिया जाता है, जिसमें प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी होती है।
  • स्तनपान की सीमाएँ: सिर्फ 64% शिशुओं को छह माह तक विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है। विशेषकर गरीब कामकाजी महिलाएं नियमित स्तनपान कराने में असमर्थ रहती हैं।
  • अनीमिया (रक्ताल्पता): 15-49 वर्ष की 57% महिलाएं और पाँच वर्ष से कम उम्र के 67% बच्चे अनीमिक पाए गए। यह मातृ पोषण की खराब स्थिति को दर्शाता है, जो शिशु के विकास में बाधक बनता है।
  • स्वच्छता और पेयजल: 2019-21 के अनुसार, भारत के 19% घरों में अब भी खुले में शौच की प्रथा जारी है। यह जल स्रोतों को प्रदूषित करता है, जिससे बच्चों में बार-बार संक्रमण होता है, जो पोषण अवशोषण को बाधित करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • पोषण अभियान की शुरुआत: 2018 में, बच्चों और माताओं के पोषण स्तर में सुधार के उद्देश्य से किया गया।
  • स्टंटिंग का राष्ट्रीय लक्ष्य: 2022 तक इसे 25% तक लाना (‘Mission 25 by 2022’)।
  • न्यूनतम स्वीकार्य आहार: बच्चों के लिए विविध और पर्याप्त भोजन व बारंबारता से संबंधित सूचकांक।
  • भारत में अनीमिया की दर: 15-49 वर्ष की 57% महिलाएं और 67% बच्चे (2019-21)।

निष्कर्ष

स्टंटिंग भारत में केवल पोषण की समस्या नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी असमानताओं का परिणाम है। यह बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ उनकी मानसिक, शैक्षणिक और आर्थिक संभावनाओं को भी सीमित करता है। जब तक मातृ स्वास्थ्य, शिक्षा, आहार की गुणवत्ता, स्तनपान की सुविधा और स्वच्छता को एकसाथ मजबूत नहीं किया जाता, तब तक स्टंटिंग का आंकड़ा नीचे लाना मुश्किल रहेगा। यह भारत की अगली पीढ़ी के भविष्य को सुनिश्चित करने की एक सामूहिक जिम्मेदारी है।

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