भारत में पिक्सेल उपयोगकर्ताओं के लिए गूगल की नई ऑन-डिवाइस स्कैम डिटेक्शन सुविधा
भारत में डिजिटल लेनदेन के बढ़ते दायरे को देखते हुए गूगल ने अपने पिक्सेल उपयोगकर्ताओं के लिए एक रीयल-टाइम ऑन-डिवाइस स्कैम डिटेक्शन सिस्टम शुरू किया है। इस सुविधा का उद्देश्य फोन-आधारित वित्तीय धोखाधड़ी को रोकना है, जिसमें उपयोगकर्ता की गोपनीयता को सुरक्षित रखते हुए एआई तकनीक का उपयोग किया गया है। यह पहल देश में डिजिटल सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में गूगल का एक अहम कदम है।
एआई-संचालित कॉल विश्लेषण और गोपनीयता सुरक्षा
यह नई सुविधा Gemini Nano AI तकनीक पर आधारित है, जो कॉल को डिवाइस पर ही विश्लेषित करती है। यह प्रणाली संदिग्ध या भ्रामक भाषा पैटर्न को पहचानकर उपयोगकर्ता को तुरंत चेतावनी देती है जब कोई अज्ञात व्यक्ति धोखाधड़ी की कोशिश करता है। विशेष बात यह है कि इसमें कोई कॉल रिकॉर्डिंग या ट्रांसक्रिप्ट स्टोर नहीं किए जाते, जिससे उपयोगकर्ता की गोपनीयता पूरी तरह सुरक्षित रहती है। इस तरह यह तकनीक व्यक्तिगत डेटा से समझौता किए बिना उपयोगकर्ता को वास्तविक समय में सुरक्षा प्रदान करती है।
उच्च जोखिम वाले डिजिटल लेनदेन के दौरान सुरक्षा
जब कोई उपयोगकर्ता कॉल के दौरान गूगल पे, पेटीएम या नवी जैसे पेमेंट ऐप खोलता है, तो स्क्रीन-शेयरिंग अलर्ट सक्रिय हो जाता है। यह चेतावनी उपयोगकर्ता को तुरंत कॉल और स्क्रीन-शेयर दोनों समाप्त करने का विकल्प देती है, ताकि किसी भी धोखाधड़ी के प्रयास को समय रहते रोका जा सके। यह फीचर विशेष रूप से उन परिस्थितियों में उपयोगी है जहाँ स्कैमर्स झूठे बहाने से उपयोगकर्ता को डिजिटल भुगतान के लिए प्रेरित करते हैं।
डिजिटल साक्षरता और साइबर सुरक्षा पहलें
गूगल केवल तकनीकी समाधान तक सीमित नहीं है; कंपनी डिजिटल साक्षरता के क्षेत्र में भी कार्य कर रही है। “लर्न एंड एक्सप्लोर ऑनलाइन” कार्यक्रम दिसंबर 2025 से भारत में शुरू होगा, जिसके तहत शिक्षकों, अभिभावकों और युवाओं को सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे पहले भी गूगल ने देशभर में हजारों शिक्षकों को साइबर सुरक्षा और डिजिटल जागरूकता के लिए प्रशिक्षित किया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्कैम डिटेक्शन फीचर पूरी तरह ऑन-डिवाइस Gemini Nano AI पर कार्य करता है।
- जब कोई अज्ञात कॉल के दौरान पेमेंट ऐप खोला जाता है, तो स्क्रीन-शेयरिंग अलर्ट सक्रिय होता है।
- “लर्न एंड एक्सप्लोर ऑनलाइन” पहल दिसंबर 2025 से भारत में प्रारंभ होगी।
- साइबरपीस फाउंडेशन को एआई आधारित साइबर-रक्षा उपकरणों के विकास के लिए गूगल द्वारा सहयोग दिया गया है।
यह नई प्रणाली भारत में डिजिटल सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। गूगल अब SIM-आधारित “एन्हांस्ड फोन नंबर वेरिफिकेशन” और SynthID वॉटरमार्किंग तकनीक जैसी नई पहलों पर भी कार्य कर रहा है, जो एआई-निर्मित सामग्री की पहचान और वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम में अहम भूमिका निभाएँगी। इससे भारत में एक अधिक सुरक्षित और पारदर्शी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण संभव होगा।