भारत में पहली बार 2026 में होगा घरेलू आय सर्वेक्षण, मोएसपीआई ने बनाई विशेषज्ञ समिति

भारत में पहली बार 2026 में होगा घरेलू आय सर्वेक्षण, मोएसपीआई ने बनाई विशेषज्ञ समिति

देश में घरेलू आय वितरण को मापने और आर्थिक असमानता को समझने के लिए भारत सरकार का सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) 2026 में पहली बार घरेलू आय सर्वेक्षण करेगा। इसके लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह (TEG) का गठन किया गया है जो सर्वेक्षण की पद्धति और अन्य तकनीकी पहलुओं पर मार्गदर्शन देगा।

सर्वेक्षण की आवश्यकता और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

MoSPI ने बताया कि पिछले प्रयासों — 1950 के दशक के उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण और 1960 के दशक के एकीकृत घरेलू सर्वेक्षण — के बावजूद घरेलू आय की विश्वसनीय जानकारी नहीं मिल पाई थी। दरअसल, इन प्रयासों में घरेलू आय के आँकड़े उपभोग और बचत से कम दिखे, जिससे डेटा की सटीकता पर सवाल उठे।
1980 के दशक में एक बार फिर घरेलू आय डेटा संग्रह की व्यवहार्यता पर विचार हुआ, लेकिन कोई राष्ट्रीय स्तर का सर्वे नहीं हो पाया। MoSPI ने माना कि देश में आर्थिक संरचनाएं पिछले 75 वर्षों में काफी बदल चुकी हैं, और अब आय वितरण की सटीक जानकारी अत्यावश्यक है।

सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु

  • सर्वेक्षण न केवल घरेलू आय मापेगा, बल्कि यह भी आकलन करेगा कि तकनीकी अपनाने का वेतन पर क्या प्रभाव पड़ा है
  • यह सर्वेक्षण भारत में आय असमानता, सामाजिक कल्याण योजनाओं के प्रभाव और गरीबी रेखा के सटीक निर्धारण में सहायक होगा।
  • यह भारत के पहले व्यापक आय सर्वेक्षण के रूप में महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।

विशेषज्ञ समूह की संरचना

इस तकनीकी विशेषज्ञ समूह (TEG) की अध्यक्षता अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला करेंगे, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के पूर्व कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं। अन्य सदस्यों में शामिल हैं:

  • सोनालदे देसाई (NCAER)
  • प्रो. आलोक कर (भारतीय सांख्यिकीय संस्थान, कोलकाता)
  • प्रो. प्रवीन झा (JNU)
  • प्रो. सृजित मिश्रा (हैदराबाद विश्वविद्यालय)
  • तिर्थंकर पटनायक (मुख्य अर्थशास्त्री, NSE)
  • राजेश शुक्ल (PRICE संस्था)
  • राम सिंह (दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स)

यह समिति सर्वेक्षण की रूपरेखा, सैम्पल डिजाइन, परिभाषाएं, पद्धतियाँ और सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों के समावेशन में मार्गदर्शन देगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 2024-25 में भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय ₹2.31 लाख रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.7% अधिक है।
  • घरेलू आय पर अंतिम बार कोई बड़ा प्रयास 1980 के दशक में किया गया था।
  • MoSPI द्वारा हाल ही में मासिक Periodic Labour Force Survey (PLFS) शुरू किया गया है, जिसमें आय के विभिन्न स्रोतों जैसे किराया, पेंशन और ब्याज की जानकारी भी मांगी जाती है।

निष्कर्ष

भारत का यह पहला घरेलू आय सर्वेक्षण न केवल आंकड़ों के संग्रहण की दृष्टि से बल्कि नीति-निर्माण के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे सामाजिक न्याय, कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और देश की आर्थिक तस्वीर को समझने में सरकार और शोधकर्ताओं को मदद मिलेगी। विशेषज्ञों की देखरेख में किए जा रहे इस सर्वेक्षण से भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली की पारदर्शिता और सटीकता को भी नया आयाम मिलेगा।

Originally written on June 24, 2025 and last modified on June 24, 2025.

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