भारत में नवाचार की नई उड़ान: पेटेंट, शोध और भविष्य की दिशा
“Make in India को सफल बनाने के लिए भारत को पहले खोज करनी होगी, फिर आविष्कार और फिर निर्माण,” — 2004 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता डेविड ग्रॉस ने यह बात Quantum India Bengaluru Summit 2025 में कही। यह बयान भारत के नवाचार क्षेत्र में हो रहे गहरे बदलाव की ओर संकेत करता है। लेकिन क्या भारत वास्तव में अपने तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है?
पेटेंट में क्रांतिकारी बदलाव
भारत अब केवल वैश्विक तकनीकों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि उनका निर्माता भी बनता जा रहा है। 2023 में पहली बार भारतीय आवेदकों ने घरेलू पेटेंट फाइलिंग में विदेशी आवेदकों को पछाड़ दिया — कुल फाइलिंग का 57% भारतीय मूल के आवेदकों से हुआ। 2021 में भारत अमेरिकी आवेदकों को पीछे छोड़ते हुए पेटेंट ग्रांट में दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बन गया था।
कौन कर रहा है पेटेंट फाइल?
वर्ष | कंपनियाँ | व्यक्ति | शैक्षणिक संस्थाएँ |
---|---|---|---|
2000 | 43% | <10% | <10% |
2023 | <17% | ~32% | ~43% |
सरकारी नीतियों जैसे KAPILA और Atal Innovation Mission ने विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स को पेटेंट फाइलिंग और नवाचार के लिए प्रेरित किया है। IIT मद्रास और IIT बॉम्बे जैसे संस्थानों ने पेटेंट संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
किन क्षेत्रों में हो रहे हैं आविष्कार?
क्षेत्र | 2000 में शेयर | 2023 में शेयर |
---|---|---|
कंप्यूटर साइंस | 1.27% | 26.5% |
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग | 8.27% | 16.41% |
भौतिकी | 2% | 4% |
बायोमेडिकल | 0.6% | 10% |
यह आंकड़े दिखाते हैं कि भारत के आविष्कार अब केवल पारंपरिक यांत्रिक या रसायन क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उभरती तकनीकों की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
सिस्टम तेज हो रहा है, लेकिन चुनौतियाँ शेष
2000 के दशक की शुरुआत में एक पेटेंट मिलने में 8-10 साल लगते थे; अब 2-3 वर्षों में मंजूरी मिल रही है, कुछ मामलों में उसी वर्ष में भी। फिर भी, पिछले दो वर्षों में दाखिल 80% से अधिक पेटेंट “awaiting decision” की स्थिति में हैं — जिससे स्पष्ट होता है कि बढ़ती संख्या के साथ कानूनी और प्रशासनिक बाधाएँ भी बनी हुई हैं।
अनुसंधान में निवेश की जरूरत
भारत का R&D खर्च जीडीपी का मात्र 0.67% है, जबकि अमेरिका (3.5%) और चीन (2.5%) से काफी पीछे है। इसे 2% तक ले जाना आवश्यक है ताकि देश तकनीक निर्माण में अग्रणी बन सके। विश्वविद्यालयों और स्टार्टअप्स में प्रारंभिक स्तर के शोध को समर्थन देना दीर्घकालिक नवाचार के लिए अनिवार्य है।