भारत में नमक की अधिक खपत: एक अनदेखा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट

भारत में हाल ही में वसा और चीनी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन को लेकर स्वास्थ्य चेतना बढ़ी है, लेकिन एक अहम पहलू अब भी उपेक्षित है — और वह है नमक की अत्यधिक खपत। यह मुद्दा देश में तेजी से बढ़ रहे गैर-संचारी रोगों (NCDs), विशेषकर उच्च रक्तचाप और मोटापे के संदर्भ में और भी गंभीर हो गया है। वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय वयस्क प्रतिदिन औसतन आठ से ग्यारह ग्राम तक नमक का सेवन करते हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अनुशंसित सीमा (5-6 ग्राम प्रतिदिन) से लगभग दोगुना है।

घरेलू भोजन और सांस्कृतिक आदतें

भारत में नमक का अधिकांश सेवन — लगभग तीन-चौथाई — घर पर बने भोजन से होता है। अचार, पापड़, नमकीन आदि जैसे पारंपरिक व्यंजन नमक से भरपूर होते हैं। भोजन की मेज पर नमकदानी रखने की आदत भी इसके सेवन को बढ़ावा देती है। बाहर भोजन करना भी आम हो गया है, जिससे नमक, वसा और स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थों की मात्रा में वृद्धि होती है।
इसके अतिरिक्त, कई उत्पादों में अदृश्य (इनविज़िबल) नमक भी मौजूद होता है — जैसे ब्रेड, बिस्किट, सॉस, केचप, मिठाइयां और पैकेज्ड फूड्स। ये सभी हाई फैट, सॉल्ट और शुगर (HFSS) और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड श्रेणी में आते हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव और गलत धारणाएँ

नमक की अधिकता से उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। भारत में लगभग 28.1% वयस्क उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं। फिर भी, नमक पर सार्वजनिक स्वास्थ्य चर्चा अपेक्षाकृत सीमित है।
भारतीय समाज में यह मिथक प्रचलित है कि सेंधा नमक, काला नमक या हिमालयन पिंक सॉल्ट स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। परंतु सभी प्रकार के नमक में सोडियम होता है, जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर समान रूप से हानिकारक होता है। इसके अतिरिक्त, ये नमक प्रायः आयोडीन युक्त नहीं होते, जिससे आयोडीन की कमी हो सकती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • WHO के अनुसार प्रतिदिन 5-6 ग्राम से अधिक नमक का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • भारत में वयस्क औसतन 8-11 ग्राम नमक प्रतिदिन सेवन करते हैं।
  • उच्च रक्तचाप भारत में वयस्कों का 28.1% प्रभावित करता है।
  • भारत का National Multisectoral Action Plan (NMAP) 2017-22 भी नमक नियंत्रण को प्राथमिकता देता है।

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