भारत में दो नए DBNet स्टेशन स्थापित करने की योजना, मौसम पूर्वानुमान में क्रांतिकारी बदलाव की ओर कदम

भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन कार्यरत National Centre for Medium Range Weather Forecasting (NCMRWF) ने आज नई दिल्ली के पृथ्वी भवन में New Space India Limited (NSIL) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता देश में मौसम पूर्वानुमान की सटीकता और तात्कालिकता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। इसके तहत दिल्ली-एनसीआर और चेन्नई में दो Direct Broadcast Network (DBNet) स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जो मिशन मौसाम परियोजना का हिस्सा हैं।

क्या है DBNet और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

DBNet एक वैश्विक ऑपरेशनल ढांचा है जो Low Earth Orbit (LEO) उपग्रहों से रीयल-टाइम डाटा प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उपयोग मुख्य रूप से Numerical Weather Prediction (NWP) के लिए किया जाता है, जो मौसम पूर्वानुमान, चक्रवात निगरानी और जलवायु अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में सहायक होता है।
इन स्टेशनों की मदद से उपग्रहों से प्राप्त संकेतों को सीधे और मिनटों में प्रोसेस किया जाएगा, जिससे मौसम की भविष्यवाणी में समयबद्धता और सटीकता दोनों में सुधार होगा। यह प्रणाली विशेष रूप से मौजूदा भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों जैसे Oceansat, NOAA और MetOp से डाटा प्राप्त करने में सक्षम होगी।

सिस्टम की मुख्य विशेषताएं

  • रीयल-टाइम डाटा उपलब्धता: DBNet प्रणाली LEO उपग्रहों से डाटा प्राप्त कर उसे तुरंत प्रोसेस करने में सक्षम है, जिससे शॉर्ट-टू-मीडियम रेंज मौसम पूर्वानुमान अधिक विश्वसनीय बनते हैं।
  • कम डाटा विलंबता: पारंपरिक डाटा ट्रांसमिशन के मुकाबले यह प्रणाली उपग्रहों के ऊपर से गुजरने के साथ ही डाटा कैप्चर कर लेती है, जिससे विलंब नहीं होता।
  • तीव्र प्रोसेसिंग क्षमता: NCMRWF पांच मिनट के भीतर डाटा प्रोसेस कर लेगा, जिससे उसे अपने पूर्वानुमान मॉडलों में तुरंत इस्तेमाल किया जा सकेगा।
  • वैश्विक भागीदारी: यह डाटा World Meteorological Organization (WMO) के नए प्लेटफ़ॉर्म WIS 2.0 के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं को भी उपलब्ध कराया जाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ● DBNet प्रणाली की अवधारणा World Meteorological Organization (WMO) द्वारा समर्थित है।
  • ● NCMRWF की स्थापना 1988 में हुई थी और यह भारत सरकार के MoES के तहत कार्य करता है।
  • ● NSIL, इसरो की वाणिज्यिक शाखा है, जिसकी स्थापना 2019 में की गई थी।
  • ● Oceansat, NOAA और MetOp उपग्रह पृथ्वी के जलवायु और महासागरीय डाटा संग्रहण में विशेष भूमिका निभाते हैं।

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