भारत में दुनिया का पहला स्वायत्त समुद्री शिपयार्ड स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम
भारत ने अगली पीढ़ी की समुद्री तकनीक के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए स्वायत्त समुद्री प्रणालियों की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाया है। आंध्र प्रदेश में सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को भूमि आवंटित कर दुनिया का पहला ऑटोनॉमस मैरीटाइम शिपयार्ड और सिस्टम्स सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। यह परियोजना रक्षा और वाणिज्यिक समुद्री क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमताओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ भारत को वैश्विक स्तर पर उन्नत समुद्री तकनीक का अग्रणी बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
भूमि आवंटन और रणनीतिक स्थान
आंध्र प्रदेश कैबिनेट ने एसपीएसआर नेल्लोर जिले के बोगोलू मंडल स्थित जुव्वलादिन्ना फिशिंग हार्बर में इस परियोजना के लिए 29.58 एकड़ भूमि आवंटित की है। तटीय क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह स्थान समुद्री परीक्षण और वास्तविक परिस्थितियों में तकनीक के परीक्षण के लिए अत्यंत उपयुक्त है। यह फैसला राज्य सरकार की उच्च तकनीक आधारित रक्षा निर्माण और उन्नत अनुसंधान निवेश को आकर्षित करने की रणनीति को भी दर्शाता है।
कंपनी की पृष्ठभूमि और तकनीकी विशेषज्ञता
सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2015 में कैप्टन निकुंज पराशर, मृदुल बब्बर और लक्ष्य डांग द्वारा की गई थी। कंपनी समुद्री, हवाई और थल क्षेत्रों में मानवरहित और स्वायत्त प्रणालियों के विकास में विशेषज्ञता रखती है। यह रक्षा, वाणिज्यिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों के लिए निगरानी, खुफिया जानकारी, टोही और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी उन्नत तकनीकी सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी की दीर्घकालिक परिकल्पना “डिजिटल ओशन” का निर्माण करना है, जो स्वायत्त प्लेटफॉर्म्स से प्राप्त रियल-टाइम डेटा पर आधारित होगा।
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर परिवर्तनकारी प्रभाव
प्रस्तावित केंद्र को रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टिकाऊ समुद्री संचालन की वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप एक अत्याधुनिक हब के रूप में विकसित किया जाएगा। यह केवल जहाज निर्माण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रक्षा तैयारियों को मजबूत करने, वाणिज्यिक शिपिंग की दक्षता बढ़ाने और विदेशी परीक्षण सुविधाओं पर निर्भरता कम करने में भी मदद करेगा। एकीकृत परीक्षण और अनुसंधान व्यवस्था के माध्यम से नवाचार की गति तेज होगी और स्वदेशी तकनीकों का तेजी से क्रियान्वयन संभव हो सकेगा।
भविष्य के उपयोग और राष्ट्रीय महत्व
यह एकीकृत अनुसंधान एवं परीक्षण केंद्र लॉजिस्टिक्स, मत्स्य पालन, आपदा प्रबंधन और बंदरगाह संचालन जैसे कई क्षेत्रों को लाभ पहुंचाएगा। स्वायत्त तकनीकों के माध्यम से जहाजों के डिजाइन, निर्माण और संचालन की प्रक्रिया में व्यापक बदलाव आने की उम्मीद है। यह पहल समुद्री क्षेत्र को अधिक सुरक्षित, स्मार्ट और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगी। साथ ही यह परियोजना उन्नत रक्षा और समुद्री तकनीकों में आत्मनिर्भरता के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है और भविष्य के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने में भी सहायक होगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2015 में हुई थी।
- यह स्वायत्त समुद्री शिपयार्ड आंध्र प्रदेश के एसपीएसआर नेल्लोर जिले में स्थापित किया जाएगा।
- स्वायत्त समुद्री प्रणालियों में एआई, रोबोटिक्स और रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स का उपयोग होता है।
- इस परियोजना में एक समर्पित मैरीटाइम टेस्ट सेंटर भी शामिल होगा।
कुल मिलाकर, आंध्र प्रदेश में स्वायत्त समुद्री शिपयार्ड की स्थापना भारत के समुद्री और रक्षा तकनीकी परिदृश्य में एक नई क्रांति का संकेत है। यह पहल न केवल स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत को वैश्विक समुद्री तकनीक के मानचित्र पर एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भी निर्णायक भूमिका निभाएगी।