भारत में डिजिटल पते की नई क्रांति: DHRUVA नीति का आगमन

भारत सरकार ने डिजिटल पते की संरचना, साझाकरण और उपयोग को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। डाक विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई DHRUVA (Digital Hub for Reference and Unique Virtual Address) नीति, देश में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह नीति न केवल शासन में सुधार लाने का उद्देश्य रखती है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में सेवा वितरण को भी सुव्यवस्थित करने का प्रयास करती है।

DHRUVA: एकीकृत डिजिटल पता प्रणाली की ओर

DHRUVA नीति का मुख्य उद्देश्य एक ऐसी प्रणाली विकसित करना है, जहां नागरिक, सरकारी निकाय और व्यवसाय सुरक्षित, सहमति-आधारित और वास्तविक समय में सत्यापित पते की जानकारी साझा कर सकें। इस प्रणाली के अंतर्गत:

  • विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होने वाले पते प्रणालियों के बीच अंतर-संचालन सुनिश्चित किया जाएगा।
  • पता प्रारूपों और भू-स्थान टैगिंग का मानकीकरण किया जाएगा।
  • उपयोगकर्ता की सहमति पर आधारित साझाकरण को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • सार्वजनिक-निजी एकीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।

यह नीति आधार और UPI की तरह डिजिटल पते को मूलभूत अवसंरचना के रूप में मान्यता देती है, जिससे ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन वाणिज्य, शहरी योजना और आपातकालीन सेवाओं में सुधार संभव होगा।

शासन और नागरिक सेवाओं में सुधार

एक सुसंगत और विश्वसनीय डिजिटल पता प्रणाली शासन के सभी स्तरों पर सुधार लाने में सहायक होगी। DHRUVA नीति के माध्यम से सरकारी योजनाओं और लाभों का सटीक और समावेशी वितरण सुनिश्चित किया जा सकेगा। विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, जहां पारंपरिक पते अस्पष्ट या अधूरे होते हैं, DHRUVA वर्चुअल, भू-कोडित पहचानकर्ताओं के माध्यम से डिजिटल विभाजन को पाटने का प्रयास करेगा।

निजी क्षेत्र के लिए संभावनाओं का द्वार

DHRUVA नीति न केवल शासन के लिए, बल्कि निजी क्षेत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए भी डिज़ाइन की गई है। ई-कॉमर्स, फिनटेक, लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी सेवाओं के प्रसार के साथ, सटीक और अद्यतन पता डेटा अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड के माध्यम से कंपनियां डुप्लिकेशन से बच सकती हैं, डिलीवरी त्रुटियों को कम कर सकती हैं और मार्ग योजना का अनुकूलन कर सकती हैं।

नागरिक सशक्तिकरण और डेटा स्वामित्व

DHRUVA नीति का केंद्रबिंदु उपयोगकर्ता की स्वायत्तता है। नागरिकों को उनके डिजिटल पता पहचान पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान किया जाएगा, जिससे वे विभिन्न उपयोग मामलों के लिए अपने सत्यापित पते को सुरक्षित रूप से साझा कर सकें। यह परिवर्तन न केवल विश्वास को बढ़ाता है, बल्कि भारत की डेटा गोपनीयता और समावेशी डिजिटल विकास की प्रतिबद्धता का समर्थन करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • DIGIPIN: भारत सरकार ने हर पते को एक 10 अंकों का यूनिक डिजिटल कोड देने की योजना बनाई है, जिसे DIGIPIN कहा जाता है। यह कोड भू-स्थान आधारित होगा और सभी प्रकार के पते—घर, दुकान, कार्यालय आदि—को कवर करेगा।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI): भारत में आधार (डिजिटल पहचान) और UPI (डिजिटल भुगतान) जैसे प्लेटफॉर्म DPI के उदाहरण हैं, जो सेवाओं की डिलीवरी और डेटा एक्सचेंज को सक्षम बनाते हैं।
  • आर्थिक प्रभाव: एक अध्ययन के अनुसार, भारत में खराब पता प्रणाली के कारण लॉजिस्टिक्स और वित्तीय सेवाओं में हर साल $10-14 बिलियन का नुकसान होता है।

DHRUVA नीति भारत में पते की अवधारणा को पूरी तरह से बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल शासन और सेवा वितरण को सुधारने का प्रयास करती है, बल्कि नागरिकों को उनके डेटा पर अधिक नियंत्रण और सशक्तिकरण प्रदान करती है। डिजिटल पते को आधार और UPI की तरह मूलभूत अवसंरचना के रूप में मान्यता देकर, भारत एक स्मार्ट, समावेशी और लचीले भविष्य की ओर अग्रसर है।

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