भारत में ठोस कचरा प्रबंधन के 25 वर्ष: नियम बने, पर क्रियान्वयन की परीक्षा अभी बाकी

भारत में 25 सितंबर, 2000 को पहली बार ठोस कचरा प्रबंधन (MSW) नियम लागू किए गए थे। यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से संभव हुआ, लेकिन 25 वर्षों के बाद भी स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है। दिल्ली, गुरुग्राम और बेंगलुरु जैसे महानगर आज भी कचरे के ढेर, जाम हो चुकी प्रसंस्करण सुविधाओं और भरे हुए लैंडफिल से जूझ रहे हैं। जबकि नियमों का दायरा अब प्लास्टिक, ई-कचरा, निर्माण सामग्री, जैव-चिकित्सकीय और खतरनाक कचरे तक फैल चुका है, फिर भी व्यावहारिक परिणाम निराशाजनक हैं।

क्यों पिछड़ गया भारत का ठोस कचरा प्रबंधन?

भारत में 2016 के SWM नियमों ने स्रोत पर 100% कचरा पृथक्करण का लक्ष्य रखा और मिश्रित कचरे के लैंडफिल में निस्तारण पर रोक लगाई। अब 2025 से प्रस्तावित नए नियमों में चार-स्तरीय पृथक्करण, डिजिटल पोर्टल और परिपत्र अर्थव्यवस्था के एकीकरण की योजना है। लेकिन अब तक असफलता के मूल में स्थानीय शासन की कमजोरी, अनुबंध प्रबंधन में अक्षमता और नागरिकों का घटता विश्वास रहा है।
आमतौर पर असफलता के लिए यह कहा जाता है कि लोग कचरा ठीक से अलग नहीं करते। लेकिन जब हम बैंकॉक, इस्तांबुल या कुआलालंपुर जैसे शहरों को देखते हैं, तो पाते हैं कि वहां भी स्रोत पृथक्करण 25% से कम है, फिर भी वे काफी स्वच्छ हैं। यह सफलता नियमित संग्रहण, सख्त कानूनों और नागरिक अनुशासन की देन है।

आंकड़ों और जमीनी हकीकत में अंतर

स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के अनुसार, भारत के 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में 84% कचरे का पृथक्करण हो रहा है। लेकिन यह दावा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों और जमीनी अनुभवों से मेल नहीं खाता। बिना सटीक आंकड़ों के नगर निकाय अंधेरे में काम करते हैं, जिससे गलत निर्णय लिए जाते हैं।
प्रक्रिया की खामियां यहीं तक सीमित नहीं हैं। जब तक पृथक्करण के अनुसार कचरे को संग्रहित, स्थानांतरित और प्रसंस्कृत करने की उचित व्यवस्था नहीं होती, तब तक लोगों से पृथक्करण की अपेक्षा करना व्यर्थ है। इसी भ्रम में कचरा यात्रा के किसी न किसी चरण में फिर से मिश्रित हो जाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में पहली बार 25 सितंबर 2000 को MSW नियम लागू किए गए थे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत।
  • 2016 के SWM नियमों में दो वर्षों में 100% स्रोत पृथक्करण का लक्ष्य तय किया गया था।
  • 2022 में EU का औसत पुनर्चक्रण दर 49% रहा, जबकि उसका लक्ष्य 2025 तक 55% है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 2022 में भारत का 22% शहरी कचरा अनगिनत और अपंजीकृत रहा।

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